सिवान में भी दस पुलिस अधिकारी गंवा चुके हैं जान
जागरण संवाददाता, सिवान : सारण जिले के इशुआपुर में थानाप्रभारी संजय तिवारी की हत्या की चर्चा जिले में
जागरण संवाददाता, सिवान : सारण जिले के इशुआपुर में थानाप्रभारी संजय तिवारी की हत्या की चर्चा जिले में पहुंचते ही सनसनी फैली रही। सूचना मिलते ही एसपी ने पूरे जिले में अलर्ट घोषित करते हुए सघन वाहन चेकिंग सहित अपराधियों की धरपकड़ का अभियान शुरू करा दिया। खासकर सारण जिले के सीमावर्ती महाराजगंज, दारौंदा, बसंतपुर, चैनपुर ओपी, सिसवन, भगवानपुर व सहित अन्य थानों को सतर्क कर दिया गया। देर शाम तक विभिन्न थानाक्षेत्रों में वाहन चेकिंग व सघन गश्ती जारी थी। चेकिंग के दौरान खासकर दोपहिया व चारपहिया वाहनों पर खास नजर थी।
इस बीच जिले में पिछले दिनों अपराधियों के हाथों मारे गए पुलिस अधिकारियों की याद भी लोगों के जेहन में कौंधती रही। उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग एक दशक में विभिन्न थाना क्षेत्रों के दस से अधिक पुलिस अधिकारी अपराधियों की गोली के शिकार हुए हैं। इशुआपुर के थानाध्यक्ष की मौत ने इनकी यादें भी जिला पुलिस के जेहन में ताजा कर दीं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक चैनपुर ओपी के प्रभारी बीके यादव 1998 में बंगरा के बारी गांव में अपराधियों के शिकार बने थे। तब अपराधियों ने हत्या कर उनकी सर्विस रिवाल्वर लूट ली थी। सन 2000 में महादेवा ओपी के प्रभारी काली सिंह सिवान के बड़हरिया बस स्टैंड में अपराधियों की गोली के शिकार हुए। उनकी सर्विस रिवाल्वर भी लूट ली गई। प्रताप कांड के दौरान 16 मार्च 2001 को मुफस्सिल थानाक्षेत्र के खालिदपुर गांव में पुलिस के एएसआई रामसागर राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2003 में बड़हरिया के थानाप्रभारी शिब्ते आलम की थाना क्षेत्र के कइलगढ़ बाजार में बैंक के सामने बाइक सवार अपराधियों ने सरेआम गोली मारकर शहीद कर दिया था। इसी साल पुलिस लाइन में तैनात दारोगा शंकर यादव की ट्रेन में यात्रा करते समय कचहरी स्टेशन के समीप पैसेंजर ट्रेन में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2004 के दिसंबर में दारौंदा थानाप्रभारी गणेश यादव पचरुखी के अर्जल बाजार में अपराधियों के शिकार बने। इन्हें भी सरेआम गोली मारी गई। 2005 में मकर संक्रांति की दोपहर जिला पुलिस मेन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्जुन सिंह को सिवान के दरबार सिनेमा हाल परिसर में गोली का निशाना बनाया गया। 1995 में आंदर ढाला के पास नगर थाने में तैनात दारोगा चिरंजीवी झा की हत्या भी तब काफी चर्चित रही थी। सूत्रों के मुताबिक इन मामलों में अबतक किसी को सजा नहीं हुई है। अधिकतर मामले अभी विचाराधीन हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक ईशुआपुर कांड के बाद सिवान में हुई इन घटनाओं की याद भी पुलिस को आई है और देर शाम पुलिस के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन मामलों से जुड़े अपराधियों से संबंधित फाइलों को फिर से खंगाला जाएगा।