जीरादेई में मिला तीन फीट पुराना पीलर
संसू, जीरादेई (सिवान) : जीरादेई का क्षेत्र पुरातत्व विभाग के लिए सदियों से शोध का विषय है। महान प
संसू, जीरादेई (सिवान) : जीरादेई का क्षेत्र पुरातत्व विभाग के लिए सदियों से शोध का विषय है। महान पुरातत्व वेदा डब्ल्यू होय इस क्षेत्र में कई शोध कर चुके हैं। वहीं केपी जायसवाल शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डा. जगदीश्वर पाण्डेय ने भी तितिरा व ठेपहां मुईया गांवों के आसपास क्षेत्रों का शोध कर यहां प्रचुर मात्रा में बौद्धकालिन मृदुभाण्ड पाने का उल्लेख किया है। शुक्रवार की सुबह ग्रामीण व पंचशील के सचिव केके सिंह को सुबह टहलने के क्रम में विजयीपुर चंवर और मुईया तितिरा चंवर के सिवाना पर टूटे हुए मेढ़ के बीच में तीन फीट का लंबा, दो फीट चौकोर 15 किलोग्राम का पाइपनुमा पिलर मिला। यह पिलर पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह लंबा है तथा इसका ऊपरी भाग सिंदूरदान के आकार का है तथा इस पर एसआई एवं तीर का मार्का है तथा भितरी भाग खोखला है। कुछ जानकारों ने कहा कि यह चनाकी है जिसका भूमि की पैमाइश में सहयोग लिया जाता है। यह विजयीपुर चंवर में डीह के पास गड़ा था। लोगों की मानें तो खेत बन चुके डीह के पास स्थित लगभग तीन बीघा चौकोर इलाके में मृदुभांड के टुकड़े व पतली ईटें मिलता है। शतायु ग्रामीण बृज प्रसाद ने बताया कि यह एक इलाका पहले भद्राडीह या बड़काडीह कहा जाता था जो खतियान में भी दर्ज है। वहीं डीसीएलआर सुबोध कुमार सिंह ने बताया कि यह लौहस्तंभ 1912 या इसके पूर्व का भी हो सकता है लेकिन एसआई व तीर मार्का से स्पष्ट होता है कि यह निश्चित ही तौर पर अंग्रेजी काल का है। कई ग्रामीण जानकारों ने भी बताया कि इसका उपयोग भूमि माप में किया जाता है।