लग गए माह नहीं हुई आरोपियों की गिरफ्तारी
जासं, सिवान : शहर के दो नर्सिग होम में प्रसव के दौरान जच्चे-बच्चे की मौत के बाद परिजनों के बयान पर द
जासं, सिवान : शहर के दो नर्सिग होम में प्रसव के दौरान जच्चे-बच्चे की मौत के बाद परिजनों के बयान पर दर्ज किये गए प्राथमिकी में नामजद किये गए नर्सिग होम संचालक और अन्य लोगों पर आज तक कार्रवाई नहीं हो सकी। अधिकारियों की लेटलतीफी का नतीजा है कि आज तक इस केस में अनुसंधान नहीं हो सका। बताते चले कि दोनों कांडों के अनुसंधानकर्ताओं ने सीएस से तीन बिंदुओं पर नर्सिग होम संबंधित जानकारी मांगी थी लेकिन माह बीत जाने के बाद अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। उधर अनुसंधानकर्ता द्वारा दोबारा जानकारी मंगाने के बाद भी सीएस ने कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराया है। जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के कारण जांच प्रक्रिया प्रभावित हो रहा है।
बतातें हैं कि शहर के सदर अस्पताल से महज कुछ दूर स्थित एक नर्सिग होम पर 21 अक्टूबर को आंदर के जमालपुर गांव निवासी एक प्रसव पीड़िता को सदर अस्पताल से उक्त नर्सिग होम भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के क्रम में जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई थी। जिसे लेकर परिजनों द्वारा काफी हो हंगामा मचाया गया था। इसकी प्राथमिकी सोनू कुमार के बयान पर नर्सिग होम संचालक रत्नेश सिंह, डा. वीणा सिंह, डा. रोहित कुमार सहित आठ नर्स व कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। जिसके अनुसंधानकर्ता अवर निरीक्षक राजपत कुमार है। वहीं दूसरी घटना एक जुलाई की है। अस्पताल रोड स्थित नर्सिग होम में हुसैनगंज के सिधवल गांव निवासी प्रसूता की इलाज के क्रम में मौत हो गई। इस मामले में मृतका के परिजन महेश भगत के पुत्र टुनटुन कुमार ने एक चिकित्सक व दो नर्स के विरूद्ध नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इस मामले के अनुसंधानकर्ता स्वयं नगर इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह हैं। इधर दोनों कांडों के अनुसंधानकर्ता द्वारा सदर अस्पताल के सीएस से तीन बिंदुओं पर सूचना मांगी थी कि उक्त नर्सिग होम व कार्यरत डाक्टर आपरेशन के लिए वैद्य है या नहीं एवं नर्स व अन्य कर्मियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है की नहीं। एक घटना के चार माह व दूसरी के एक माह होने को है लेकिन आज तक सीएस द्वारा दूसरी बार मांग के बाद भी अनुसंधानकर्ता को कोई सूचना उपलब्ध नहीं करायी गई है। इस संबंध में दोनों अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि सीएस द्वारा सूचना नहीं दी जा रही है। जिससे जांच प्रभावित हो रहा है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी प्रक्रिया धीमी है। वहीं चिकित्सक भी अभी तक न्यायालय द्वारा जमानत नहीं कराये है। ऐसी सूचना मिल रही है कि पुन: अपना नाम बदल चिकित्सक कार्य शुरू कर दिये है। इस संबंध में सीएस डा. अनिल कुमार चौधरी ने बताया कि एक घटना मेरे समय की नहीं है। दूसरी घटना में आइओ द्वारा भेजा गया रिपोर्ट प्राप्त है। जिसे तैयार किया जा रहा है। दूसरी बार मांगी गई सूचना की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।