अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे भावुक
संसू, रघुनाथपुर (सिवान): समकालीन भोजपुरी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर और प्रखंड के कौसड़ गांव निवासी मनो
संसू, रघुनाथपुर (सिवान): समकालीन भोजपुरी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर और प्रखंड के कौसड़ गांव निवासी मनोज भावुक मारीशस में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होंगे। मारीशस सरकार वहां पूर्वाचल से गए गिरमिटिया मजदूरों के आगमन के 180 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 30 अक्टूबर से 4 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का आयोजन कर रही है। इसमें भावुक को भी बुलाया गया है। भावुक रघुनाथपुर प्रखंड के कौसड़ गांव के निवासी हैं। इनके पिता रामदेव सिंह हिंडाल्को रेनुकूट के मजदूर नेता हैं।
2 नवंबर 1834 को मारीशस पहुंचे थे गिरमिटिया मजदूर
मारीशस में भारत से भोजपुरी भाषी मजदूर पहली बार 2 नवंबर 1834 को गिरमिटिया मजदूर के रूप में पहुंचे थे। ये एग्रीमेंट पर ले जाए गए थे जो अपभ्रंश में गिरमिट और गिरमिटिया हो गया। ये लोग न केवल वहां की माटी में रच बस गए बल्कि कालांतर में वहां की आर्थिक उन्नति के वाहक भी बने। मारीशस सरकार इन्हीं लोगों की याद में प्रति वर्ष राष्ट्रीय समारोह और भोजपूरी महोत्सव का आयोजन करती है। इस महोत्सव में भारत, ग्रेट ब्रिटेन, युनाइटेट स्टेट, दक्षिण अफ्रिका, हालैंड, थाइलैंड, सिंगापुर, त्रिनिदाद, गुमाना आदि कई देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाता है।
भोजपुरी लेखन में योगदान के मद्देनजर मिला आमंत्रण
मनोज भावुक को भोजपुरी भाषा में योगदान को देखते हुए मारीशस सरकार ने विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। उन्हें अपने देश से मारीशस तक आने-जाने के लिए विमान टिकट भारतीय संस्कृति संबंध परिषद (आइसीसीआर) द्वारा दिया गया है। छह दिनों तक चलने वाले इस भोजपुरी महोत्सव में मनोज सिनेमा के इतिहास पर प्रकाश डालेंगे।
कई फिल्मों में भी कर चुके है कार्य
टेलीविजन पर्सनालिटी मनोज भावुक ने न सिर्फ भोजपुरी फिल्मों पर शोध किया है बल्कि कई फिल्मों में बतौर अभिनेता कार्य भी कर चुके है। वह कई टीवी सीरियल भी लिख चुके है। इन्होंने भोजपुरी मीडिया और फिल्मों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का संचालन भी कर चुके है। वह युगांडा, नेपाल, इगमैंड व अन्य देशों में भोजपूरी का परचम लहरा चुके है।
कई पुरस्कारों से नवाजे
जा चुके हैं मनोज
मनोज भावुक को भारतीय भाषा परिषद, भाउराव देवरस सम्मान, राही मासूम रजा व परिकल्पना लोक भूषण सहित दर्जनों आवार्ड अंकरण से सम्मानित किया जा चुका है। तस्वीर जिदंगी के (भोजपुरी गजल संग्रह) व चलनी में फनी (भोजपुरी कविता-संग्रह) इनकी चर्चित पुस्तकें हैं।