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सौतेले भतीजे की हत्या में चाचा को आजीवन कारावास

बथनाहा थाना के खैरवी निवासी नारायण राय के पुत्र कामोद राय को तीन वर्ष पुराने मुन्ना हत्याकांड में न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 03:02 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 03:02 AM (IST)
सौतेले भतीजे की हत्या में चाचा को आजीवन कारावास

सीतामढ़ी। बथनाहा थाना के खैरवी निवासी नारायण राय के पुत्र कामोद राय को तीन वर्ष पुराने मुन्ना हत्याकांड में न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम किशोर कुमार सिन्हा ने 29 नवंबर को अभियुक्त को हत्याकांड में दोषी करार दिया था। सजा के बिन्दू पर मंगलवार को खुले न्यायालय में फैसला सुनाया गया। न्यायालय ने कामोद राय को भादवि की धारा 302 के अंतर्गत आजीवन कारावास व पचास हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड नहीं देने पर छ: महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं भादवि की धारा 307 के अंतर्गत सात वर्ष का कारावास व दस हजार का अर्थदंड, अर्थदंड नहीं देने पर तीन महीने का अतिरिक्त कारावास, धारा 148 के अंतर्गत दो वर्षो का सश्रम कारावास, धारा 341 के अंतर्गत एक माह का सामान्य कारावास तथा आ‌र्म्स एक्ट की धारा 27 के अंतर्गत तीन वर्ष का सश्रम कारावास व दस हजार रुपये अर्थदंड, अर्थदंड नहीं देने पर दो महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भी सुनाई गई है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। न्यायालय ने अपने आदेश में अर्थदंड की राशि मृतक की पत्नी या आश्रित को देने का फैसला सुनाया है। मुकदमे में बचाव पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता रामबाबू राय ने बहस की जबकि अभियोजन का पक्ष वरीय एपीपी मो. अनवारूल हक अंसारी ने रखा। ज्ञात हो कि बथनाहा थाना के खैरवी गांव निवासी संतावन राय के पुत्र मुन्ना राय की एक नवंबर 2013 को हत्या कर दी गई थी। घटना के अनुसार मृतक मुन्ना राय को उसके सौतेले चाचा कामोद राय ने फोन कर गांव में ही महेश साह की ताड़ी दुकान पर जरूरी काम कह बुलाया। मुन्ना राय अपने पिता संतावन राय के साथ ताड़ी दुकान पर पहुंचा तो कामोद राय व अन्य ने पिता-पुत्र को घेर लिया। कामोद राय ने पिस्तौल से मुन्ना को पेट तथा सिर में दो गोलियां मारीं। मुन्ना के पिता पर भी फायर किया गया, लेकिन वे बाल-बाल बच गए थे। दो गोलियां लगने से मुन्ना राय की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। मामले में अन्य आरोपी महेश साह व अमित कुमार को साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने दोषमुक्त करार दिया था।


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