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गुमनामी में जी रही है यह कराटा चैंपियन, 160 देश की लड़कियों को किया था परास्त

कभी 160 देशों की लड़कियों को पछाड़ कर बिहार की बेटी कराटा चैंपियन बनी थी। यूनिसेफ ने अपनी पत्रिका में पहले पन्ने पर जगह दी थी। आज यह गुमनामी के अंधेरे में जी रही है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 03:26 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 11:34 PM (IST)
गुमनामी में जी रही है यह कराटा चैंपियन, 160 देश की लड़कियों को किया था परास्त
गुमनामी में जी रही है यह कराटा चैंपियन, 160 देश की लड़कियों को किया था परास्त

सीतामढ़ी [जेएनएन]। दिल्ली में 160 देशों की लड़कियों को पछाड़ कराटे चैंपियन बन यूनिसेफ की पत्रिका के पहले पन्ने पर जगह बनाने वाली ललिता इन दिनों गुमनामी का जीवन जी रही हैं। अंतरराष्ट्रीय सफलता पर पहले पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी व बाद में नीतीश कुमार से सम्मानित ललिता फिलहाल सोनबरसा के खाप मध्य विद्यालय में आर्टस शिक्षक की भूमिका निभा रही हैं। 

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महादलित लड़कियों को चैंपियन बनाने की चाह
शिक्षिका की नौकरी करते हुए ललिता देश की लड़कियों को कराटे का प्रशिक्षण देना चाहती हैं। कहती हैं कि 12 हजार की नौकरी में घर नहीं चलता। सरकार ने सोनबरसा में तीन डिसमिल जमीन देने की घोषणा की थी। ब्लॉक ऑफिस का चक्कर लगाने के बाद थक-हारकर छोड़ दिया। उनका कहना है कि सरकार अगर मौका दे तो वे महादलित लड़कियों को कराटे सिखाकर चैंपियन बनाना चाहती हैं।

ऊंची उड़ान की थी चाह

सोनबरसा की ललिता अपने हौसले की बदौलत ऊंची उड़ान चाहती थीं। इसी चाह में वर्ष 2004 में दिल्ली में आयोजित 160 देशों की लड़कियां उनके आगे धराशायी हो गईं। उनकी किक के आगे किसी की नहीं चली और उन्होंने कराटे चैंपियनशिप में पहला स्थान पाया। 


घास कटवाते थे मां-बाप

सोनबरसा के लक्ष्मीनिया के खोपराहा टोले में महादलित भदई मांझी व स्वरूपिया देवी की बेटी ललिता का बचपन सुखद नहीं रहा। मां-बाप सुबह-सुबह घास काटने भेज देते। पर, वह घास की टोकरी खेत में छोड़ जगजगी केंद्र पर पढऩे चली जाया करतीं। मां-बाप को जब सूचना मिलने लगी तो उन्होंने घर से निकलने पर ही पाबंदी लगा दी। 


स्वयंसेवी संस्था ने आगे बढ़ाया

कन्हौली जगजगी केंद्र की सहेली शिक्षिका ने उनके मां-बाप को समझा कर पढ़ाई के लिए राजी कराया। पहले सोनबरसा फिर मुजफ्फरपुर महिला सामाख्या में पढ़ाई की। इसी दौरान कराटे का प्रशिक्षण लिया। महिला सामाख्या की संयोजक संगीता दत्ता के सहयोग से कई जिलों में बच्चियों को कराटे का प्रशिक्षण दिया।

यूनिसेफ पदाधिकारी अगस्तीन उन्हें दिल्ली ले गए। 160 देशों की लड़कियों के बीच कराटे प्रतियोगिता में ललिता एक्शन में पहले स्थान पर रहीं। यूनिसेफ ने 'दुनिया के बच्चों की स्थिति' पत्रिका में पहले पन्ने पर जगह दी। आगे चलकर ब्रजेश कुमार मांझी उर्फ कमलेश से वे वर्ष 2010 परिणय सूत्र में बंध गईं। 

ललिता के स्कूल के प्राचार्य रामनरेश प्रसाद कहते हैं कि उन्हें मौका मिलना ही चाहिए। सोनबरसा बीईओ अजय कुमार त्रिवेदी की मानें तो ललिता यदि चाहेंगी तो जिला स्तर पर उन्हें कराटे का प्रशिक्षण देने का मौका दिया जाएगा। 

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ललिता के मामले में केंद्रीय खेल मंत्री से बात करूंगा। केंद्र सरकार की ओर से जो कुछ भी किया जा सकता है, किया जाएगा। उनकी प्रतिभा मरने नहीं दी जाएगी। उनके अनुभव से यहां के बच्चे जरूर लाभान्वित होंगे। 

-रामकुमार शर्मा, सांसद, सीतामढ़ी

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