..और नामांकन को भटक रहे छात्र का चेहरा खिला
सीतामढ़ी। दिन बुधवार। सुबह के 11:30 बज रहे थे। जिलाधिकारी अपने कार्यालय में कार्यों का निष्पादन करने
सीतामढ़ी। दिन बुधवार। सुबह के 11:30 बज रहे थे। जिलाधिकारी अपने कार्यालय में कार्यों का निष्पादन करने में जुटे थे। तभी 8 वां वर्ग का छात्र अंकित कुमार अपनी मां के साथ समाहरणालय पहुंचा। जहां उसकी नजर ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड पर पड़ी। दोनों मां-बेटा उक्त होमगार्ड के जवान के पास पहुंचा और डीएम साहब से मिलवाने की जिच करने लगा। संयोग से ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड के जवान ग्रामीण निकला। जिसके कारण मां-बेटे को हिम्मत भी मिली और अधिकार भी जताया। धर्मसंकट में फंसे जवान अंकित को लेकर एक अधिकारी के पास पहुंचा और समस्याओं के बारे में अवगत कराया। छात्र ने बताया कि पिताजी गाजियाबाद में सैलून चलाते थे। किडनी में खराबी होने के बाद शरीर से लाचार अपने घर बथनाहा लौट गए। वहां कक्षा 8 में पढ़ाई कर रहा था। पास होने के बाद स्कूल से प्रमाण पत्र लेकर अपने घर लौट आया। यहां हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक नामांकन लेने से इंकार कर दिया है। अधिकारी ने गाजियाबाद स्कूल से निर्गत आठवां का प्रमाण पत्र देखा और बच्चे को सलाह दी कि वे पहले डीईओ से मिले। अगर वहां कोई नहीं सुनता है तो डीएम से मिले। नामांकन जरूर होगा। बच्चे को हिम्मत मिली और ग्रामीण के साथ डीईओ से समक्ष उपस्थित हुआ। जहां हाई स्कूल पुरनहिया बथनाहा के प्रधानाध्यापक द्वारा नामांकन नहीं किए जाने की शिकायत की। डीईओ ने छात्र की समस्या को सुना और नवम वर्ग में नामांकन की अनुमति दे दी। नामांकन को हरी झंडी मिलते ही छात्र के चेहरे खिल उठे और पुन: समाहरणालय लौटा। जहां ड्यूटी पर खड़े गार्ड एवं अन्य लोगों से आशीर्वाद प्राप्त कर मां के साथ घर लौट गया।