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शास्त्र की शपथ एवं साधक की विन्रमता ही जीवन की सफलता : संत

सीतामढ़ी। धर्मचक्रवर्ती कवि कुल रत्न पद्मविभूषण श्री चित्रकुट तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Apr 2017 01:06 AM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 01:09 AM (IST)
शास्त्र की शपथ एवं साधक की विन्रमता ही जीवन की सफलता : संत
शास्त्र की शपथ एवं साधक की विन्रमता ही जीवन की सफलता : संत

सीतामढ़ी। धर्मचक्रवर्ती कवि कुल रत्न पद्मविभूषण श्री चित्रकुट तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी ने कहा कि श्रीसीताराम की अभूतपूर्व कृपा, करूणा एवं जगत जननी जगदंबा भगवती जानकी जी के प्रकाट्य स्थल पुनौरा धाम में जानकी नवमी के अवसर पर नि:स्वार्थ भाव से सात्विक वांगमय सेवा देने आए है। इसमें मेरा कोई स्वार्थ और कोई लिप्सा नहीं है। मेरे जीवन का प्रयोजन है कि सीताजी मेरी बहू और मैं ससुर हूं। पूरे भारत के आचार्यों में किशोरी जी ने मुझे जितनी सफलता दी है उतनी किसी को नहीं मिली है। रुपये-पैसे से कोई सफलता नहीं होती है। शास्त्र की शपथ, साधक की विन्रमता एवं भजन-कीर्तन की सार्थकता ही जीवन की सफलता है। यह मेरे जीवन की 1264 वीं रामकथा है। वे गुरुवार से पुनौरा धाम में जानकी नवमी के अवसर पर 8 दिवसीय श्रीराम कथा के शुभारंभ पर बोल रहे थे। इसके पूर्व जगतगुरु ने पुनौरा धाम स्थित सीताकुंड की परिक्रमा कर घाट पर श्री सीताराम नाम जाप किया। फिर जानकी मंदिर में रामचरित्र मानस नवाह परायण यज्ञ का शुभारंभ किया। चरण पादुका पूजन के साथ श्रीराम कथा में मानस युगल गीत की चर्चा करते हुए जगतगुरु ने श्रद्धालुओं को आध्यात्म प्रवेश करने के लिए अभ्यास करने पर बल दिया। कहा कि भागवत काल एवं मानस काल के युगल गीत में बहुत अंतर है। भागवत काल के युगल गीत में जहां गोपियां 24 स्वागत छंद में गीत गा रही है वहीं मानस काल सीताजी की सखिया 8 चौपाई में ही युगल गीत गा रही है। जगतगुरु ने कहा कि सीताजी घड़े से नहीं बल्कि धरती को फाड़ कर प्रकट हुई थी। वर्तमान समय में कथा के गिरते स्तर पर ¨चता व्यक्त करते हुए जगतगुरु ने कहा कि कथा का स्तर नहीं रह गया है ¨कतु जीवन में कथा का अमृत श्रवण जरूरी है।'प्रभु प्रतिपाद्य राम भगवाना'से संगीतमय श्रीराम कथा का शुभारंभ करते हुए जगतगुरु ने कहा कि श्री रामचरित मानस का प्रतिपाद्य भगवान श्री राम है। कार्यक्रम में महंत कौशल किशोर दास, धनुषधारी प्रसाद ¨सह, पूर्व मंत्री सुनील कुमार ¨पटू, दिनेशचंद्र द्वेदी, मारुतिनंदन पांडेय, राधेश्याम शर्मा, ओम कुमार, साकेत बिहारी, अशोक कुमार ¨सह, रंजन कुमार सुभद्रा ठाकुर समेत अन्य मिथिला राघव परिवार सेवा न्यास के सदस्य सक्रिय रहे।


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