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शिक्षकों की कार्यशैली पर ग्रामीणों ने किया हंगामा

सीतामढ़ी। मुख्यालय डुमरा स्थित प्राथमिक विधालय भीसा में शिक्षकों की कार्यशैली से क्षुब्ध ग्रामीणों

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 12:23 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 12:23 AM (IST)
शिक्षकों की कार्यशैली पर ग्रामीणों ने किया हंगामा

सीतामढ़ी। मुख्यालय डुमरा स्थित प्राथमिक विधालय भीसा में शिक्षकों की कार्यशैली से क्षुब्ध ग्रामीणों ने स्कूल में तालाबंदी कर जमकर बवाल काटा। पठन पाठन बंद कराकर पदाधिकारियों को बुलाने की मांग पर अड़ रहे। सूचना के बाद पहुंचे बीईओ अमरेन्द्र पाठक ने दोषी शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई का आश्वान देकर ग्रामीणों को शांत कराया। मोहन ¨सह, बलराम कुमार, राजेन्द्र कुमार, गणेशी साह, सुनील राम, संजय राम, गंगाधर कुमार, राहुल कुमार, इसराइल शाफी आदि ग्रामीणों का कहना था कि स्कूल के शिक्षक सीएल का आवेदन देकर अक्सर गायब रहते है। चार पांच दिन के बाद आते है और पूर्व का हाजिरी बना लेते है। मध्याह्न भोजन कभी बनता है और कभी नही बनता है। अधिकांश बच्चे को अब तक किताब नही दिया गया इै। बीईओ ने ग्रामीणों की शिकायत पर स्कूल के उपस्थिति पंजी की जांच की एवं शिक्षकों को कड़ी फटकार लगाई। बीईओ ने प्रधानध्यापिका सुषमा कुमारी से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए उनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है। कहा कि स्पष्टीकरण का जबाब असंतोषजनक पाया गया, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। वहीं प्रतिनियोजित शिक्षक लालबाबू चौधरी का प्रतिनियोजन रद कर दिया गया। साथ ही उन्हें मूल विधालय में योगदान करने का आदेश दिया गया। बताया कि शिक्षक श्री चौधरी 16 अगस्त से 25 अगस्त तक सीएल में थे। 28 अगस्त को स्कूल आए और 26 अगस्त से 28 अगस्त का हाजिरी बना लिए। बीईओ द्वारा कार्रवाई के बाद स्कूल का पठन पाठन शुरू किया गया।

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शौचालय के टंकी पर बच्चों की पढ़ाई, रसोईया के घर में बनता एमडीएम

भीसा स्थित पुस्तकालय में संचालित प्राथमिक विधालय भीसा में 127 बच्चे नामांकित है। जिसमें सोमवार को 70 बच्चे उपस्थित पाए गए। पुस्तकालय के कमरा में मध्याह्न भोजन व स्कूल का कागजात व फर्नीचर था। जबिक बच्चे को पुस्तकालय के लिए बने शौचालय की टंकी पर पढाया जा रहा था। एक ओर सरकारी मुलाजिमों द्वारा स्कूल में साफ सफाई का आदेश जारी किया जा रहा है। वहीं है वहीं दूसरी ओर शौचालय के टंकी पर पठन पाठन स्वास्थ्य हित में जारी निर्देश को ठेंगा दिखा रहा है। पूछने पर शिक्षक जबाब देते है न भूमि है और न ही भवन। बच्चों को कहां पढ़ाए यह तो मजबूरी है। वहीं जगह के अभाव में रसोइया अपने घर पर मध्याह्न भोजन बनाती है। जबकि अधिकारियों का फरमान है कि मध्याह्न भोजन स्कूल में ही बनाया जाएगा।


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