सरपंचों ने सुनाई न्यायधीश को व्यथा
जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी : आगामी 6 दिसंबर को होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता के लिए शनिवार क
जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी : आगामी 6 दिसंबर को होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता के लिए शनिवार को लोक अदालत कार्यालय कक्ष में ग्राम कचहरी के सरपंचों व पंचों के साथ बैठक हुई। इस दौरान पंचों व सरपंचों ने खुलकर अपनी व्यथा न्यायिक अधिकारियों के समक्ष रखी। बताया कि ग्राम कचहरी में गांव के कमजोर वर्ग न्याय की गुहार लेकर आते हैं। उन्हें निर्धारित शुल्क की राशि एक सौ रुपये अदा करनी होती है। शुल्क अधिक होने के कारण वादों की संख्या ग्राम कचहरी में कम होती है। वहीं ग्राम कचहरी के फैसले को दबंगों द्वारा तरजीह नहीं दी जाती है। साथ ही वादी व परीवादियों को अपने दावपेच में उलझाने का प्रयास किया जाता है। ग्राम कचहरी में दोनों पक्षों की सहमति पर निष्पादित मामले पर गांव के कुछ लोगों को आपत्ति होती है। कभी-कभी तो पंचों व सरपंचों को कोपभाजन बनना पड़ता है। बताया कि ग्राम कचहरी में संसाधन का घोर अभाव है। न तो भवन है और न पंजी उपलब्ध कराई जाती है। सुरक्षा की बात तो दूर बैठने के लिए भी जगह नहीं है। ऐसे में वादों के निष्पादन में कठिनाई होती है। न्यायिक पदाधिकारियों ने कहा कि ग्राम कचहरी का मामला चिंतनीय है। प्रभारी न्यायाधीश सुधीर कुमार मिश्रा व सिविल जज (परीक्ष्यमान) विपिन लावानिया ने कहा कि व्यवहार न्यायालय व पंचायत न्यायालय दोनों का उद्देश्य एक ही है। अधिक से अधिक वादों का निष्पादन। उन्होंने कहा कि गांव तक न्याय कैसे पहुंचे इस विषय पर विचार विमर्श करने की आवश्यकता है। आगामी 6 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इसमें अधिक से अधिक वादों का पंजीयन कराने के लिए गांव में जागरुकता अभियान चलाएं ताकि उन्हें सहज व सुलभ न्याय मिल सके। मौके मुरलीधर मिश्र, पदमवीर शर्मा, अजीत कुमार, राकेश कुमार व अमरेन्द्र कुमार झा आदि मौजूद थे।