चचरी के सहारे रेंग रही मुसहरीवासियों की जिंदगी
-विकास के मायने से अनजान हैं गांव के लोग
-गांव में सड़क, बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं
बाढ़ व बरसात में नाव ही रह जाता है सहारा
परसौनी (सीतामढ़ी), संवाद सहयोगी : प्रखंड के डेमा पंचायत के मुसहरी गांव स्थित पासवान टोला के लोगों की जिंदगी चचरी के सहारे रेंग रही है। पांच साल बीत गए, गांव की समस्या जहां की तहां है। जन प्रतिनिधि ने इसको दूर करने का प्रयास तक नहीं किया है। आज तक इस गांव के लोगों को सड़क सुविधा नसीब नहीं हो सकी है। गांव में न सड़क है, न बिजली। विद्यालय या सामुदायिक भवन की कल्पना ही बेकार है। प्रखंड मुख्यालय से करीब दो किमी स्थित गांव में सौ से अधिक पासवान जाति का घर है। टोला को मुख्य गांव से मनुषमारा नदी अलग कर चुकी है। गांव के लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाना हो या पंचायत, तो आवागमन के लिए चचरी ही सहारा है। बाढ़ व बरसात में चचरी पुल भी खत्म हो जाती है। तब यहां के लोगों का आवागमन का एक मात्र विकल्प नाव रह जाता है। विकास के दौर में पिछड़े गांव में अब तक न तो विद्यालय है, न ही स्वास्थ्य केन्द्र और न ही सामुदायिक भवन। बिजली तथा अन्य सुविधा तो यहां के ग्रामीणों के लिए दिवास्वप्न है। गांव के लोग विद्यालय व अन्य सुविधा के लिए शिवहर जिला के धनकौल जाने को विवश है। मुखिया मुजीबुर रहमान बताते है कि चचरी को हटाकर पुल बनवाना उनके बस का नहीं है। यह बड़ी परियोजना है जो पंचायत स्तर पर संभव नहीं है। ग्रामीण बुधन पासवान, विफई पासवान, महेश पासवान, शत्रोहन पासवान का कहना है कि चुनावी मौसम में ही लोग उनसे मिलने आते है। इसके बाद किसी को गांव के लोगों से कोई सरोकार नहीं रहता।