तीन वर्गो की पहुंची आधी अधूरी किताब
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान तो है।
शिवहर। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान तो है। लेकिन, कभी शिक्षकों की कमी का अभाव तो कभी किताब की समस्या गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को आड़े आ रही है। नये सत्र आरंभ हुए तकरीबन तीन माह बाद भी सरकारी विद्यालयों में किताबें उपलब्ध नहीं हो सका है। ऐसे में बगैर किताब के शिक्षा प्राप्त करना बच्चों के लिए मुश्किल हो रहा है। वहीं कुछ वर्ग के लिए किताबें उपलब्ध भी कराई गई है, तो वह भी आधे अधूरे हैं। उक्त किताबों का वितरण भी करना गुरूजी के लिए गले का फास साबित हो रहा है। स्कूल में अगर किसी बच्चों को किताब दे दिया गया तो अन्य बच्चों के साथ अभिभावक भी हंगामा करेंगे। ऐसे हालत में किताबों का वितरण करना गुरूजी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। जानकारी के अनुसार अभी तक वर्ग 1, 6, व 7 की किताबें उपलब्ध हुई है। वह भी लक्ष्य से काफी कम है । वर्ग एक के लिए 30514 किताबों की माग की गई थी। जहां 23099 किताबें उपलब्ध हुई है। वहीं वर्ग छह के लिए 3289 के बदले 1869 व सात के बच्चों के लिए 2659 किताबों का डिमाड किया गया था। जिसके एवज में महज 1717 किताबें उपलब्ध हुई है। जबकि वर्ग दो के लिए 3448, 3 के लिए 3651, 4 के लिए 4229 ,5 के लिए 3813 तथा वर्ग आठ के लिए 2348 किताबों का डिमाड किया गया था जिसके एवज में एक भी किताब उपलब्ध नहीं कराई गई है। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि किस तरह से सरकारी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जा रही है।