Move to Jagran APP

सामा-चकेवा को लेकर क्षेत्र में उत्साह

शिवहर। कार्तिक मास में छठ पर्व के पारन के दिन से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाए जाने वाले सामा च

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 12:14 AM (IST)
सामा-चकेवा को लेकर क्षेत्र में उत्साह

शिवहर। कार्तिक मास में छठ पर्व के पारन के दिन से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाए जाने वाले सामा चकेवा के पर्व को लेकर मंगलवार को युवतियों व महिलाओं में उत्साह चरम पर दिखा। वहीं इस पर्व का समापन कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान दान के साथ हीं हो जाएगा। जिसको लेकर आज पूरे जोश से भरपूर महिलाओं एवं परिजनों ने समा चकवा का खेल खेला। इस खेल में लोक गीतों की प्रधानता है। जिसमें महिलाओं व युवतियों ने चुंगला करे चुंगली, बिलईया करे म्याउं, चुंगला के चोंच हम नोंच-नोंच के हम खाई, वृदावन में आग लागल, केहूना बुतावे हो जैसे लोक गीत गाकर गांवों की गलियां गुलजार कर दिया। कार्तिक मास में लोक आस्था का पर्व सामा चकवा यहां पूरे परवान पर रहा। बता दें कि बांस से बने डाले में मिट्टी के चकवा, चुंगला, वृंदावन, खिड़लीच सामा आदि सजा कर महिला व युवती हर रोज रात को घंटों गीत गाते हुए इस पर्व को मनाती है। कहती हैं कि समा चकवा कि विदाई एक बेटी की तरह की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी तालाबों में इसका विसर्जन किया जाता है। इस से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है।

loksabha election banner

-------

इनसेट

-------

- जमाने के साथ रंग भी बदला

पुरनहिया, संस : बदलते जमाने के साथ सामा चकवा का रंग भी बदल गया है। पहले सफेद चमकीले रंगों से हीं इसका निर्माण होता था। मगर अब बदलते समय में निर्माण में चटक रंगो का खूब प्रयोग होने लगा है। इसके दाम तीस रुपये से लेकर सौ तक के हैं। जिसे गावों में घूम-घूमकर बेचा जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.