रवि अपहरण कांड : खुलने लगी परत दर परत
शिवहर, संस : बैंक ऑफ बड़ौदा की कहतरवा शाखा के अपहृत प्रबंधक रवि कुमार की सकुशल घर वापसी के बाद घटना की परत दर परत खुलने लगी है। इससे परिजनों व बैंक कर्मियों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, बैंक मैनेजर एवं उनके परिजन सहमे हैं। वहीं, पुलिस अपराधियों को दबोचने में जुटी है।
तीन को पूछताछ के बाद छोड़ा : मोबाइल लोकेशन के आधार पर गिरफ्तार चार में तीन को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया है। इनकी आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। जबकि, चौथे व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। उसने घटना में संलिप्तता स्वीकार की है।
सूचक था संतोष : शिवहर थाने की माली पाखरभिंडा पंचायत के श्रीपुर गांव का निवासी संतोष साह ने इस घटना में सूचक की भूमिका स्वीकार की है। पुलिस ने साथ के तीन लड़कों को इसलिए पकड़ा, क्योंकि इनका मोबाइल संतोष की दुकान में चार्ज हो रहा था। संतोष ने उसी मोबाइल से अपहरण के बारे में बात की थी।
सात अन्य थे शामिल : एसपी सुनील कुमार द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में बताया गया कि संतोष ने अपने सात अन्य साथियों का नाम बताया है। इनमें 5 शिवहर एवं 2 सीतामढ़ी के हैं। पुलिस सबकी कुंडली खंगालने में जुट गई है। संतोष साह के नाम पटना रेल थाने में भी एक मामला दर्ज है।
पूछताछ जारी : कांड में शामिल संतोष साह से लगातार पूछताछ जारी है। एसपी ने बताया कि कुछ जानकारी मिली है। ज्यादा जानकारी एकत्र कर रहे हैं। बताया कि घटना में कोई बड़ा आदमी टारगेट पर था। ऐन वक्त पर रवि हत्थे चढ़ गए।
शीघ्र ही होगा पर्दाफाश : एसपी ने दावा किया कि घटना में संलिप्त अपराधी शीघ्र ही बेनकाब होंगे। उसे सलाखों के अंदर किया जाएगा। पिपराही थाने में कांड दर्ज कर कार्रवाई तेज कर दी गई है।
रीगा तक थी हमारी ड्यूटी : संतोष ने कहा कि गुरुवार को उसके साथी मैरुन रंग की स्कॉर्पियो के साथ देकुली धाम पर थे। जबकि, संतोष अपनी बाइक से रेकिंग कर रहा था। रात करीब 9 बजे जब बैंक प्रबंधक देकुली से गुजरे तो स्कॉर्पियो सवार ने पीछे किया। सबसे पीछे संतोष अपनी बाइक पर था। हमारी ड्यूटी रीगा तक थी। इसके बाद अपहृत को लेकर सभी आगे चले गए। इसके बाद मैनेजर की बाइक पोखर के समीप छोड़ बस से घर आ गया। संतोष की खुद की बाइक उसके घर श्रीपुर से पुलिस ने बरामद कर ली है।
किया गया ओवरटेक : बैंक प्रबंधक ने कहा कि गाड़ी की रोशनी और अकेलेपन का भय के कारण हमने आगे चलना शुरू किया। ताकि दोनों तटबंधों के बीच का फासला तय हो जाए। किन्तु कोला पुल के पास स्कॉर्पियो ने ओवरटेक कर मेरी गाड़ी रोक दी। इसके बाद सशस्त्र लोगों ने हमें घेर लिया और अपनी गाड़ी में बिठा लिया। एक ने संतोष की मोटरसाइकिल ले ली। संतोष मेरी बाइक पर था। सभी बागमती के पूर्वी तटबंध पर आए। कुछ देर बाद परसौनी होकर रीगा की ओर चले। मेरी आंखों में काली पट्टी बांध दी थी। इससे पहले पूछा कि कौन हो या करते हो। मैंने वास्तविक पहचान छिपाते हुए खुद को मेडिकल रिप्रजेंटेटिव बताया। उसने मोबाइल जेब से निकाल लिया। कहा कि इतना महंगा मोबाइल कैसे रखते हो। फिर मेरे मोबाइल से मम्मी -पापा से बात की और घंटों गाड़ी चलाने के बाद एक खपरैल मकान में कैद कर लिया। जहां खाने को चावल, दाल सब्जी परोसा। मेरे पास हथियारबंद अपराधी का पहरा बिठा दिया। बाद में उसने मुक्त कर दिया।