तीन शिवलिंगों वाला शिवालय त्रिदोष को हरने वाला
देशबंधु शर्मा, शिवहर : शिवालय के गर्भगृह में तीन शिवलिंग वाला रानी पोखर शिवालय अद्भुत रहस्य समेटे जिला मुख्यालय के मध्य में स्थित है जहां प्रतिदिन पास स्थित विशाल जलाशय से जलाभिषेक और षोडषोपचार पूजन किया जाता है। उक्त मंदिर के प्रति जिलावासियों के हृदय में आगाध श्रद्धा है।
लोग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 1854 में शिवहर के तत्कालीन राजा शिवराजनंदन सिंह बहादुर द्वारा किया गया था। ऐसी कथा है कि शिवहर राज में भीषण अकाल पड़ा। फरियादियों ने अपनी व्यथा राजा को सुनायी और बाबा भुवनेश्वरनाथ मंदिर देकुलीधाम में एक विशाल यज्ञ का आयोजन राजकोष से किया गया। जिसमें राजा खुद शामिल हुए फिर क्या था झमाझम बारिश हुई और राजा के अंतर्मन में शिवभक्ति के प्रति अतिशय आसक्ति जगी और उन्होंने अपने राजडयोढ़ी के अहाते में विशाल शिवालय बनवाया पास ही सरोवर भी खुदवाये जो रानी पोखर के नाम से विख्यात है। बताया जाता है कि उक्त पोखर में रानियां स्नानादि कर शिवालय में जलाभिषेक करती थी।
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त्रिदेव के प्रतीक हैं तीन शिवलिंग
मंदिर के गर्भगृह में बने अरघे पर एक साथ तीन शिवलिंग स्थापित है जिसके बारे में मान्यता है कि सनातन धर्म के त्रिदेव अर्थात ब्रहमा, विष्णु, महेश के प्रतीक है एक ही साथ सबों के पूजन की व्यवस्था है।
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पास ही है रामजानकी मंदिर
शिवालय के गर्भगृह से सटे उत्तर रामदरबार का मंदिर है जिसका आशय है कि स्वयं शिव की घोषणा है कि जो श्रीराम को नहीं पूजता वह मेरा खास नहीं हो सकता। इस ख्याल से रामजानकी की आकर्षक मूर्ति स्थापित की गयी है।
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वास्तु का बेजोड़ उदाहरण
राजा द्वारा बनाये गये इस शिवालय में वास्तुशिल्प का नायाब उदाहरण मिलता है। गगनचुंबी गुबंद को पत्थरों से सजाया गया है जिस पर बेहतरीन नक्काशी की गयी है किन्तु वर्तमान में उचित संरक्षण के अभाव में यह मंदिर अपनी आभा खो रहा है।
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सावन में बढ़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
यूं तो प्रतिदिन पहुंचने वाले शिवभक्तों की संख्या कम नहीं है किन्तु सावन, सोमवारी, शिवरात्रि, बसंत पंचमी आदि महत्वपूर्ण तिथियों पर भीड़ अधिक होती है वहीं सोमवारी के अवसर पर महिलाओं और किशोरियों के द्वारा गाये नचारी की धुन सुनने लायक होता है।
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पथिकों को आश्रय तो बैठक को नि:शुल्क स्थान
बाजार के माध्यम से स्थित शिवालयों जहां पथिकों को आश्रय मिलता है वहीं मंदिर के विशाल अहाते और बरामदे पर आये दिन विभिन्न संघों की बैठकें होती है।
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राजा के वंशज के अधीन है प्रबंधन
मंदिर के निर्माणकर्ता राज शिवराजनंदन सिंह बहादुर के वंशज कुमार अखिलेशनंदन सिंह उर्फ अनूपी बाबू द्वारा इस मंदिर की देखरेख की जाती है। उन्होंने बताया कि चूंकि यह मंदिर निजी है इसलिए मैं इसका प्रबंधक हूं। इसकी पूजा के लिए वेतनभोगी पुजारी त्रिलोकी तिवारी है।
उक्त शिवालय के प्रति श्रद्धालुओं में काफी श्रद्धा है ऐसी मान्यता है कि शिवालय के तीनों शिवलिंग त्रिविध तापों से मुक्ति दिलाता है।