अब स्कूलों में बच्चों को मिलेगा डिब्बा बंद मिड डे मील
छपरा। अब स्कूलों में बच्चों को डिब्बा बंद मध्याह्न भोजन(मिड डे मिल) दिया जाएगा। इस योजना पर सरकार
छपरा।
अब स्कूलों में बच्चों को डिब्बा बंद मध्याह्न भोजन(मिड डे मिल) दिया जाएगा। इस योजना पर सरकार काम कर रही है। पहले फेज में शहरी क्षेत्र एवं शहर से सटे करीब 10 किलो मीटर के अंदर के स्कूलों में मिड डे मील दिया दिया जाएगा। इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा है। बता दें कि विषाक्त मिड डे मील खाने से वर्ष 2013 में सारण के मशरक प्रखंड के धरमासती गंडामन नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में 23 बच्चों के मरने की घटना के बाद से बच्चों को सुरक्षित व स्वादिष्ट खाना देने की योजना में लगी सरकार ने यह तरकीब निकली है। उससे स्कूलों में एमडीएम बनाने एवं उसके वितरण में लगे शिक्षकों की भूमिका बहुत हद तक खत्म हो जाएगी। शहरी क्षेत्र में यह योजना सफल हो जाती है तो उसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा। डिब्बा बंद मध्याह्न भोजन तय मेनू के तहत ही मिलेगा।
गुणवत्ता की जांच के बाद डिब्बा बंद खाना देने का निर्णय
स्कूलों में बन रहे मिड डे मिल की गुणवत्ता की जांच कई राज्यों में किया गया है। जिसमें गुणवत्ता पूर्ण एमडीएम नहीं पाया गया। जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को डिब्बा बंद एमडीएम देने का निर्देश दिया है। जिसका पालन धीरे -धीरे राज्य सरकार कर रही है। पिछले दिनों नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज ने कई राज्यों में मिड डे मील की गुणवत्ता की जांच की थी। जिसमें स्कूलों में गुणवत्ता पूर्ण मिड डे मिल नहीं मिलने की बात बतायी गयी है। जिसके बाद डिब्बा बंद भोजन देने का निर्णय लिया गया।
रसोईया की बदेलगी भूमिका
स्कूलों में डिब्बा बंद मिड डे मिल मिलने पर वर्तमान में कार्यरत रसोईया की भूमिका बदल जाएगी। जिस विद्यालय में डिब्बा बंद एमडीएम शुरू होगी वहां की रसोईया की जिम्मेवारी बच्चों के बीच एमडीएम वितरण करने एवं उन्हें बच्चों खिलाने की होगी। वे एजेंसी से बच्चों की संख्या के आधार पर डिब्बा बंद एमडीएम लेकर इसे बच्चों को बीच वितरण करेंगी। इनकी नौकरी नहीं जाएगी। उनपर बच्चों को डिब्बा सही जगह पर फेंकने से लेकर हाथ धुला खिलाने की जिम्मेवारी भी होगी।
खुलेगा सेंटरलाइज किचेन रूम
जिस एजेंसी को डिब्बा बंद मिड डे मिल स्कूलों में वितरण करने की जिम्मेवारी मिलेगी। उन्हें शहरी क्षेत्र में ही सेंटरलाइज किचेन रूम बनाना होगा। जहां से एमडीएम बनाकर उसे डिस्पोजल डिब्बे में पैक कर के स्कूलों में वितरित किया जाएगा। जिले के शिक्षा विभाग के पदाधिकारी, एमडीएम पदाधिकारी, बीईओ से लेकर अन्य वरीय पदाधिकारी पर किचेन रूम करी जांच करने की जिम्मेवारी होगी।
रसोईया व शिक्षक करेंगे क्वालिटी चेक
डिब्बा बंद मध्याह्न भोजन की क्वालिटी चेक करके इसे रजिस्टर पर अंकित करना है। इसके लिए स्कूलों में रजिस्टर दिया जाएगा। स्कूल में एमडीएम आने के बाद पहले रसोईया एचएम एवं शिक्षक खायेंगे इसके बाद उसकी गुणवत्ता के बारे में रजिस्टर पर अपना कमेंट अंकित करेंगे। इनके खाने के आधा घंटे बाद बच्चों में वितरित किया जाएगा।
इनसेट
1995 में शुरू हुई थी मिड डे मील योजना
छपरा : बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए सरकार ने वर्ष 1995 में पूरे देश में मध्याह्न भोजन योजना शुरू की थी। वर्ग 1 से 8 तक के बच्चों को इसका लाभ मिलता है। शुरुआती दौर में बच्चों को दो से तीन किलो तक अनाज दिया जाता था। जिसका विरोध लोगों एवं राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया कि गरीब बच्चे कच्चा अनाज कैसे खायेंगे। इसके बाद 2007 में सरकार ने स्कूल में खिचड़ी बनाकर खिलाने की योजना शुरू की। समय के साथ इस योजना की समीक्षा कर बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए सात दिनों का अलग-अलग मीनू तैयार किया गया ताकि बच्चों को पौष्टिक भोजन मिल सके। भोजन की गुणवत्ता के लिए राज्य से लेकर पंचायत स्तर तक मानिटरिंग के लिए कमेटी बनायी गयी ताकि गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके। स्कूलों में किचन शेड बना, मानदेय पर रसोइया की बहाली की गयी। इसकी निगरानी के लिए स्कूल में माता समिति का गठन किया गया है।
इनसेट
मिड डे मिल का प्रस्तावित मेनू
दिन - मेनू
सोमवार - चावल मिश्रित दाल एवं हरी सब्जी
मंगलवार -जीरा चावल, सोयाबीन आलू की सब्जी
बुधवार - खिचड़ी(हरी सब्जी युक्त) तथा चोखा
गुरूवार - चावल मिश्रित दाल तथा हरी सब्जी
शुक्रवार -पुलाव काबुली चना/ लाल चना का छोला तथा हरी सलाद
शनिवार - खिचड़ी(हरी सब्जी युक्त) तथा चोखा
वर्जन :
'शहरी क्षेत्र एवं उससे सटे ग्रामीण अंचलों में डिब्बा बंद मिड डे मिल देने की योजना है। यह जल्द ही शुरू होगा'
अजीत सिंह
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(मध्याह्न भोजन योजना), सारण