बिहार की निशा ने मॉस्को में रचा इतिहास, सेना का जेट उड़ा बनायी मिसाल
बिहार के छपरा की निशा राज ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत मॉस्को में जेट विमान उड़ाकर नया इतिहास रचा है। वह आगे चलकर सेना में ऑफिसर बनना चाहती है।
पटना [अमृतेश]। छपरा की निशा ने मॉस्को में सेना के जेट विमान को उड़ाकर इतिहास रच दिया। निशा एनसीसी के यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम से जुड़कर पिछले दिनों रूस गई थी। उसने वहां 7 बिहार बटालियन एनसीसी का प्रतिनिधित्व किया। निशा आगे सेना में ऑफिसर बनना चाहती है।
छपरा जैसे छोटे शहर में भी रहकर निशा राज ने अपनी दृढ़इच्छा के बल पर अपनी धमक देश से बाहर दुनिया में दिखा दी है। उसने एनसीसी के यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम से जुड़कर पिछले दिनों सोवियत संघ रूस की राजधानी मॉस्को में सेना के जेट विमान को आधे घंटे तक उड़ाने में सहायता की।
उसने बताया कि दो सदस्यीय टीम ने सातवें आसमान पर आधे घंटे तक उसे जेट उड़ाने के गुर सिखाएं। आत्मविश्वास से भरी निशा ने बताया कि यदि मौका मिला तो एक दिन वह अकेले भी जेट उड़ाएगी। वहां वह रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन, रेड स्क्वायर म्यूजियम एवं पुतिन हाउस को भी देखा।
शहर से सटे रामनगर शिवटोला निवासी किसान धनंजय सिंह एवं मनोरमा देवी की पुत्री निशा राज जगदम कॉलेज में जूलॉजी आनर्स प्रथम खंड की छात्रा है। वह प्रतिभा के बल पर बिना यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत मॉस्को में 7 बिहार बटालियन का प्रतिनिधित्व किया। जिसमें बिहार एवं झारखंड भी आता है। मध्यवर्गीय परिवार की निशा के परिवार में दूर -दूर तक कोई भी सेना नहीं है। लेकिन वह सेना में ऑफिसर बनना चाहती है।
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जिस उम्र में लड़कियां बाल, महेंदी, एवं हाथों में कंगन के स्टाइल के बारे में सोचती हैं। इस उम्र निशा को एसएलआर (राइफल) को साफ करना एवं चलाने का शौक रखती है। वह बिहार व झारखंड के वेस्ट शूटर का भी अवार्ड जीत चुकी है। निशा कहती है कि इसे बचपन से ही सेना में जाने का शौक था। इसलिए जब इसका नामांकन जगदम कॉलेज में हुआ तो वह सबसे पहले एनसीसी में नामांकन लिया।
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एनसीसी में कठिन परिश्रम के बल पर निशा एक साल में 7 बिहार बटालियन की बेस्ट कैडेट बन गई। वह गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले प्रीआरडी परेड में भी शामिल हो चुकी है। इस दौरान वह महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने का मौका मिला।
निशा कहती है कि जब कुछ करने का हौसला हो तो रास्ते खुद ब खुद बनने लगते है। मेरे परिवार में कोई भी सेना में नहीं है, न ही मुझे गाइड लाइन ही मिला लेकिन मेरे में मन कुछ नया कराने का जज्बा था, जिसके कारण यहां तक पहुंच सकी हूं।
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