आत्मनिर्भर बनने पर आधी आबादी को मिलेगा बराबरी का हक : प्राचार्य
सारण। अगर महिलाएं आत्मनिर्भर हो जाएगी तो समाज में उन्हें पुरूषों के समान्य बराबरी का हक द
सारण। अगर महिलाएं आत्मनिर्भर हो जाएगी तो समाज में उन्हें पुरूषों के समान्य बराबरी का हक देने से कोई रोक नहीं सकता है। इसके लिए समाज के लोगों को सोंच भी बदलनी होगी। बराबरी के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी है। जेंडर आधारित भेदभाव का सबसे बुरा स्वरूप आजकल परिवार में देखने को मिल रहा है। आज कल लड़की पैदा हो रही है, तो परिवार में मातम मन रही है। अशिक्षा, गरीबी, पुरुष प्रभुत्व और महिलाओं का सशक्त होने में सबसे बड़ी बाधा है। राजेंद्र कॉलेज के प्राचार्य डा. रामश्रेष्ठ राय ने शुक्रवार को कालेज कैंपस में सपनों को चली छूने कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। जेंडर संवेदीकरण की दिशा में जागरण पहल, महिला विकास निगम एवं स्वस्थ्य डीएफआईडी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन मुख्य अतिथि प्राचार्य डा. आरएस राय ने कहा कि मेरा अपना मानना है कि महिला अति सशक्त हैं। आज भी हम शक्ति, धन व विधा के लिए देवी की ही पूजा है। लेकिन मध्यकालीन युग में देश में पर्दा प्रथा व महिलाओं के प्रति असमानता का भावना लोगों के अंदर आ गयी। जिसके कारण आज यह स्थिति सामने आयी है।
समाजिक सुरक्षा कोषांग के उप निदेशक ¨पकी कुमारी ने कहा कहा कि ईश्वर ने श्रृष्टि की संरचना करने में महिला व पुरूषों के अंदर कोई भेदभाव नहीं किया है। फिर भी समाज के अंदर लोगों भेदभाव क्यों करते है। लड़कियों को अपने अंदर के प्रतिभा को जगाने की जरूरत है, अगर आप जग गयी तो कोई भी आपके साथ भेदभाव नहीं कर सकते है। इसके लिए आपको आर्थिक रूप से सक्षम होना होगा। महिलाएं ही घरों में महिलाओं के साथ भेदभाव करती है। जिसे खत्म करने की जरूरत है।
कोई भेदभाव नहीं किया था। हमारे वेदों में कहीं भी महिलाओं को असमानता की भाव से नहीं देखा गया है। जागरण ने सपनों को चली छूने कार्यक्रम के तहत समाज में जागरूकता अभियान चलाया है वह सराहनीय है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जगलाल राय कॉलेज के संस्कृत के प्राध्यापक डा. वैद्यनाथ मिश्र ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए लड़कियों को अपने मन के अंदर बैठे डर को हटाते हुए आत्मनिर्भर बनाना होगा। जबतक महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं मिल जाता तबतक समाज का पूर्ण विकास नहीं हो सकता है। महिला थानाध्यक्ष अमिता ¨सह ने कहा कि
लड़कियों के अंदर आत्मविश्वास जग जायेगा तो हमें किसी से बराबरी का हक मांगने की आवश्यकता नहीं है।
महिला विकास निगम के डीपीएम मनमोहन ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चला रखी है। जिसके माध्यम से महिलाएं आत्मर्निभर बन सकती है। हमें जरूरत है कि इन योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मर्निभर बनने की। भागवत विद्यापीठ के प्रधानाचार्य ए.के सिन्हा ने कहा कि लड़कियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। बिना महिलाओं के सम्मान दिये समाज का विकास नहीं हो सकता है। समाज रूपी गाड़ी की महिलाएं भी एक पहिया है। आज समाज में महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने में इनके परिवार वालों भी पीछे नहीं है, अगर वे आत्मनिर्भर नहीं बनी तो समाज आगे नहीं बढ़ सकता है।
सीपीएस के डायरेक्टर हरेन्द्र ¨सह ने कहा कि महिलाओं को बराबरी के लिए उन्हें संघर्ष करना होगा। महिलाओं को आगे बढ़ने से पुरूषों में जलन होती है। इसलिए पुरूष महिलाओं के आगे बढ़ने से रोकते हैं। बराबरी का दर्जा देना है तो इसकी शुरूआत घर से करनी होगी। स्वागत गान एनएसएस के कैडेट नेहा कुमारी, महिमा कुमारी, नीतू कुमारी अंजली कुमारी आदि ने प्रस्तुत किया। इसके पूर्व राजेद्र कॉलेज के प्राचार्य डॉ.रामश्रेष्ठ राय, महिला हेल्प लाइन की प्रबंधक मधुबाला, डब्लूडीसी के डीपीओ मनमोहन सीपीएस के डायरेक्टर हरेन्द्र ¨सह ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन किया। कार्यशाला का विषय प्रवेश दैनिक जागरण के कमलाकर उपाघ्याय, संचालन हरिओम मिश्रा एवं धन्यवाद ज्ञापन दैनिक जागरण के अमृतेश ने किया। आगत अतिथियों को बुके देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर डॉ.पूनम, डॉ. एनपी वर्मा, डॉ. संजय कुमार, हरिहर मोहन, अनिता श्रीवास्तव, डॉ. संगीता चौधरी, डॉ. मकेश्वर चौधरी सरपंच संध्या ¨सह, डॉ. मुन्नी कुमारी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।