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इस बार दीयों की रोशनी होगी तेज

सारण। दीपों का पर्व दीपावली के आगमन से पूर्व ही कुम्हार समुदायों के चाक की गति तेज हो गई है। इन समु

By Edited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 09:12 PM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 09:12 PM (IST)
इस बार दीयों की रोशनी होगी तेज

सारण। दीपों का पर्व दीपावली के आगमन से पूर्व ही कुम्हार समुदायों के चाक की गति तेज हो गई है। इन समुदायों ने बड़ी तेजी से दीये का निर्माण प्रारंभ कर दिया है। परसा प्रखंड के करीब 50 परिवारों ने बड़े पैमाने पर जमा करना शुरू कर दिया है। चाक पर मिट्टी के संग अटखेलिया करते-करते मिट्टी को जीवंत सा रूप देने में माहिर कुम्हार समुदायों की जींदगी आज भी बदतर है। बाजारों में चाइनीज बिजली के बल्ब एवं जगमगाते बिजली से जलने वाले एलइडी बल्ब इन्हें मुंह चिढ़ाते हैं । अक्सर दीपावली के बाद पूर्व में शायद हीं एक आध कीड़े - मकोड़े विचरते देखे जाते थे। सरसों तेल के दीया में जल रहे बाती की लौ एक रात की दीपावली में हीं कीड़े-मकोड़े का बुनियाद हिला कर रख देती थी। ¨कतु अब ऐसा नहीं होता। आधुनिकी करण एवं शहरी चकाचौध ने दीये जलाने की प्रथा को एक हिस्से में सिमटा दिया है। बहरहाल कुम्हार समुदाय के बच्चे दिन रात दीये को बनाकर इसका ढेर लगा रहे हैं बच्चे खुश हैं कि उनके अभिभावक इस दीपावली में उन्हें मन माफिक वस्तुये खरीद देगें। दीपों की चमक से शायद कोई चमत्कार हो ऐसा शायद प्रतीत नहीं हो रहा।


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