¨सडिकेट में बजट पर लगी मुहर
छपरा। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरिकेश की अध्यक्षता में शनिवार को देर शाम ह
छपरा। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरिकेश की अध्यक्षता में शनिवार को देर शाम हुए ¨सडिकेट की बैठक में बजट समेत कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। जिसमें बजट समेत नवनियुक्त शिक्षकों की सेवा सम्पुष्टि, शैक्षणिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर, वित्त समिति, क्रय समिति के निर्णय पर मुहर लगाई गई।
जिसमें वित्तीय वर्ष 2017-18 का करीब सवा तीन अरब के घाटे के बजट पर सर्वसम्मति से ¨सडिकेट ने अपनी मुहर लगा दी।
वित्तीय वर्ष 2017-18 का तीन अरब 42 करोड़ 83 लाख 853 रूपये (3428348537) के बजट पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसे पास कर दिया गया । इसमें विश्वविद्यालय को विभिन्न श्रोत से 12 करोड़ 36 लाख 22 हजार 217 रूपये (123622217) आय के रूप में प्राप्त होगा। जिसमें शिक्षकों के वेतन मद में 63 करोड़ 80 लाख 89 हजार 760 रूपये(638089760) एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी के वेतन मद में 26 करोड़ 26 लाख 10 हजार 242 रूपये (262610242) खर्च होंगे। इस तरह से विश्वविद्यालय का तीन अरब 30 करोड़ 47 लाख 26 हजार 320 रूपये(3304726320) के घाटे का बजट पास किया गया।
बैठक में विधान पार्षद केदार पांडेय ने कई मुद्दे उठाए। बैठक में पूर्व विधायक मंजीत ¨सह, कुलानुशासक डा. उमाशंकर यादव, कुलसचिव डा.सैयद रजा, पीजी मनो विज्ञान विभाग की प्राध्यापक डा. पूनम एवं पीआर कॉलेज सोनुर के प्राचार्य समेत अन्य लोग मौजूद थे।
इनसेट :
जेपीयू का बजट एक नजर में
वित्तीय वर्ष - 2017-18
बजट -तीन अरब 42 करोड़ 83 लाख 853 रुपये
आय - 12 करोड़ 36 लाख 22 हजार 217 रुपये
शिक्षकों के वेतन मद में खर्च - 63 करोड़ 80 लाख 89 हजार 760 रुपये
शिक्षकेत्तर कर्मचारी के वेतन मद मे खर्च -26 करोड़ 26 लाख 10 हजार 242 रूपये (262610242)
घाटा - तीन अरब 30 करोड़ 47 लाख 26 हजार 320
इनसेट :
¨सडिकेट पर छात्र संगठनों ने उठाए सवाल
छपरा : जयप्रकाश विश्वविद्यालय में हुए ¨सडिकेट की बैठक पर शोध विद्यार्थी संगठन (आरएसए) ने सवाल उठाते हुए इसे गलत बताया। इसके निर्णय के रद्द करने के लिए आरएसए राजभवन में फैक्स के माध्यम से आवेदन भी भेजा है।
छात्र नेता वेद प्रकाश ने कहा कि यह ¨सडिकेट विश्वविद्यालय प्रशासन अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए बुलाया गया था। जिसमें बिना जांच के आए उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन
कार्य का करीब 57 लाख रुपये देने के निर्णय लेने का प्रयास किया गया। जबकि वर्ष 2014 में पार्ट वन की कॉपी कहां जांच हुई,जांच के बाद कापी कहां इसकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं हैं। जिसकी जांच को ले कमेटी भी बना था। जिसकी रिपोर्ट भी नहीं है। इतना नहीं ¨सडिकेट में गलत ढ़ंग से संबद्ध कॉलेज के प्राचार्य को सदस्य बनाया गया है जबकि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 22 जी में स्पष्ट है कि ¨सडिकेट के दो सदस्य बारी बारी अंगीभूत कॉलेज के प्राचार्य होंगे। इस संबंध में जेपीयू के पीआरओ डा. केदार नाथ से पूछने पर उन्होंने कहा कि ¨सडिकेट में सभी सदस्य नियम सम्मत बनाये गये।