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..ए हजूर हमनी के देखे वाला केहू नईखे!

सारण। ..ए हजूर हमनी के देखे वाला केहू नईखे! सरकार के हर दावा इहां फेल बा। एईजा न राशन बा और न आवागमन

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 03:06 AM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 03:06 AM (IST)
..ए हजूर हमनी के देखे वाला केहू नईखे!

सारण। ..ए हजूर हमनी के देखे वाला केहू नईखे! सरकार के हर दावा इहां फेल बा। एईजा न राशन बा और न आवागमन के साधन। ये उद्गार है सदर प्रखंड के दियारा इलाके में रहने वाले लोगों का। चारो तरफ से पानी से घिरे छतों पर आश्रय लिये एवं सरकारी राहत की टकटकी लगाये बाढ़ पीड़ितों के दर्द को बयां करने के लिए ये उद्गार काफी है। प्रशासनिक स्तर पर चाहे जितनी भी दावे किये जायें परन्तु जागरण की टीम जब बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंचती है तो जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। भूख से बिलबिला रहे बच्चे एवं हर तरफ से मजबूर एवं मायूस उनके परिजनों की दशा देखकर किसी भी इंसान का दिल दहल जाता है। बच्चों की हालत देख जब उनके संबंध में बात की जाती है तो बड़ों के आंखों में आंसू झलक आते हैं। दयालचक के बूटन राम, कन्हाई राम, पलटू राम एवं सबलपुर के दहाड़ी राम रूआंसे आवाज में कहते हैं कि घर में राशन के नाम पर एक दाना भी नहीं है। यदि पड़ोसी से मिले भी तो जलावन कहां से आये। कहीं आने जाने का साधन भी तो यहां नहीं है। प्रशासन द्वारा नाव दिये जाने की बात कही जाती है वह भी तो केवल बड़े लोगों को ही दिया गया है। हम गरीब तो छत पर बैठकर लोगों को नाव पर घूमते और बाढ़ का आनंद लेते बस देख रहे हैं। लगभग पांच दिनों से बाढ़ की विभिषिका झेल रहे दियारा वासियों के घर का राशन भी अब खत्म हो रहा है। इनकी दयनीय हालत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि एक ही छत पर लोग मवेशियों के साथ समय काट रहे हैं। साधन संपन्न लोग दियारा क्षेत्र से पलायन कर सुरक्षित स्थान पर चले गये हैं। लेकिन गरीबों की नियति तो बस हवा के झोंके एवं पानी के थपेड़े के सिवा कुछ भी नहीं। तिल-तिलकर ध्वस्त हो रहे अपने आशियाना को देख लोग आहें भर रहे हैं। आखिर वे कर भी क्या सकते हैं? प्रशासन को चाहिए कि पके पकाये भोजन का पैकेट दियारा वासियों तक पहुंचाये। बाढ़ राहत शिविर के नाम पर खानापूर्ति के बजाए इसके वास्तविक हकदारों तक पहुंचाने की जिम्मेवारी प्रशासन के साथ ही सामाजिक संगठनों एवं जनप्रतिनिधियों तथा समाज के प्रबुद्ध जनों को भी है।

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नदी के जल स्तर में वृद्धि शुरू

रविवार एवं सोमवार को गंगा नदी के जल स्तर में हुई मामूली कमी से थोड़े समय के लिए बाढ़ पीड़ितों को मिली खुशी मंगलवार को काफूर हो गयी। बाढ़ पीड़ितों के अनुसार गंगा नदी के जल स्तर में मंगलवार को तेजी से वृद्धि हुई। अगर यही स्थिति रही तो संकट और गहरा सकता है।


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