बिहार पर्यटन के मानचीत्र पर होगा रिविलगंज
छपरा। रिविलगंज बहुत जल्द बिहार पर्यटन के मानचित्र पर नजर आयेगा। डीएम दीपक आनंद ने इलाके का निरीक्षण
छपरा। रिविलगंज बहुत जल्द बिहार पर्यटन के मानचित्र पर नजर आयेगा। डीएम दीपक आनंद ने इलाके का निरीक्षण किया और रिविल साहब की मजार, जहाज घाट और सेमरिया के पौराणिक इतिहास को जानने के बाद निर्णय लिया है कि इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जायेगा। इनकी खोयी प्रतिष्ठा वापस लायी जायेगी।
सारण गजेटियर में भी उल्लेख है कि कस्टम कलक्टर हेनरी रिविल द्वारा 1788 में रिविलगंज बाजार स्थापित किया गया था। छपरा गुदरी सड़क पर उनका मकबरा स्थित है। 1883 में नगरपालिका के उपसभापति स्व. राय मुखर्जी ने बंगाल के ले. गवर्नर सर एसले एडेन की सलाह पर रिविल की मकबरे की खोदाई करायी । रिविल ने 1788 में कस्टम चौकी की भी स्थापना की थी। उस समय यहां से नेपाल, चंपारण और बंगाल तथा उत्तर पश्चिम के बीच नदी का मार्ग मुख्य केन्द्र था। यहां से मक्का, जौ, मटर, तिलहन और चीनी का निर्यात होता था, जबकि चावल और नमक का आयात होता था। रिविलगंज में कोलकाता के व्यापारी रहते थे और जहाज से माल लाया जाता था। गंगा के संगम स्थल के पूरब की ओर बढ़ जाने और रेलवे द्वारा प्रतिस्पद्र्धा से रिविलगंज बाजार मृत प्राय: हो गया और यह स्थानीय लोगो तक सीमित रह गया। रिविलगंज का इतिहास बहुत पुराना है। गजेटियर के अनुसार इसका पुराना नाम गोदना था जो गौतमऋषि के नाम पर था। यहीं भगवान श्रीराम ने अहिल्या का उद्धार किया था। सारण इन तथ्यों को गजेटियर में पढ़ने के बाद डीएम दीपक आनंद ने शुक्रवार को इस स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने इसकी खोयी प्रतिष्ठा को वापस लाने का संकल्प लिया।