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त्रिकोण में अटकीं सबकी सासें

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 01:05 AM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 01:05 AM (IST)
त्रिकोण में अटकीं सबकी सासें

राकेश/संजय, छपरा : सूबे के सियासत के सुरमाओं के जुबानी जंग का गवाह बने छपरा विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार को उपचुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। इस सियासी जंग में किसकी जीत होगी और किसकी हार, इसका फैसला तो 25 अगस्त को मतगणना के दिन होगा, लेकिन तबतक कयासों का दौर चलता रहेगा। कारण यह कि छपरा विधानसभा चुनाव में शायद यह पहला मौका है जब तीन प्रमुख प्रत्याशी वोटिंग समाप्त होने के बाद भी अपनी जीत के जोरदार दावे कर रहे हैं। कहने को तो यह सालभर के लिए होने वाला उपचुनाव था, लेकिन जिस आक्रामक ढंग से सभी प्रमुख दलों के नेताओं ने प्रचार अभियान चलाया, उससे यह उपचुनाव काफी रोचक हो गया। राजद-जदयू-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी रणधीर कुमार सिंह के समर्थन में जहां लालू-नीतीश की बहुचर्चित संयुक्त सभा हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी भी प्रचार के लिए आये। पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह खुद चुनाव प्रचार में कमर कसकर डटे रहे। वहीं भाजपा प्रत्याशी कन्हैया सिंह के समर्थन में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी, महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल सहित तमाम वरिष्ठ नेता छपरा में डेरा जमाये रहे। सुशील मोदी का तो तीन बार छपरा का रिकार्ड दौरे के साथ-साथ रोड शो भी हुआ। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान, रविशंकर प्रसाद, उपेन्द्र कुशवाहा जैसे दिग्गज नेताओं की भी सभा हुई। इन दोनों दलों के अलावे अंतिम समय तक टिकट कटने से नाराज भाजपा नेता डा. सीएन गुप्ता पार्टी से बगावत कर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में कूद पड़े। पर्चा दाखिल करने के बाद से डा. गुप्ता ने जिस अंदाज में अपना जनसंपर्क अभियान चलाया, उससे दोनों प्रमुख उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ती गयी। भाजपा का टिकट कटने के बाद संघ व पार्टी का एक बड़ा धरा कथित रूप से डा. गुप्ता के साथ हो गया। छपरा के अधिसंख्य तटस्थ मतदाता भी डा. गुप्ता के साथ जुड़ते गये। वोटिंग के दिन तक डाक्टर साहब एक कोण बनकर उभरे। मतदान के दिन शहर से लेकर गांव तक के प्राय: सभी बूथों पर कम या ज्यादा वोट उनको मिलने की बात बतायी जा रही है। साफ है छपरा की लड़ाई इस बार काफी रोचक बन गयी थी। अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में जो उत्साह व ट्रेंड भाजपा को लेकर दिखाई पड़ा था, वह इस उपचुनाव में दूर-दूर तक नजर नहीं आया। बावजूद इसके भाजपा भी एक मजबूत कोण है। राजद-जदयू-कंाग्रेस के एक साथ आने से राजद प्रत्याशी भी एक कोण पर मजबूती से खडे़ हैं। वोटिंग के बाद इन तीनों प्रमुख दावेदारों के जीत के परस्पर दावे भी त्रिकोणीय लड़ाई की तस्दीक कर रहे हैं। अब देखना है इस त्रिकोण में कौन बाजी मारता है? हां, इतना जरूर तय है कि कुल ग्यारह प्रत्याशियों में उक्त तीनों प्रत्याशी प्रथम तीन स्थानों पर रहेंगे। इसको जानने के लिए बस तीन दिन का इंतजार और करना होगा।


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