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साधू को माया मिली न राम

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 09:51 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 09:51 PM (IST)
साधू को माया मिली न राम

जासं, छपरा : साधु यादव प्रकरण को लेकर एक फिल्मी गीत याद आ रहा है। फिल्मी गाने के बोल थे-मुंबई से गयी दिल्ली, दिल्ली से गयी पटना, फिर भी न मिला सजना..। कुछ इसी तरह का हाल साधु यादव का हुआ है, उन्हें न माया मिली न राम। पहले गोपालगंज, फिर बेतिया-सारण के बाद महाराजगंज का चक्कर साधु लगाते रहे, लेकिन उन्हें कोई राजनीतिक ठिकाना (अंगना) नहीं मिला। अब हालत यह है कि महाराजगंज से निर्दल प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने के बाद उन्होंने अपना नाम भी वापस ले लिया। नाम वापस लेने के साथ ही उनके सुर भी बदल गये हैं। जहां पहले वे अपने जीजा लालू प्रसाद को कोसते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की तारीफ करते नहीं थकते थे। कुछ दिन पहले तक वे भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के समर्थन में कसीदे गढ़ रहे थे, वहीं अब वे नीतीश के मुरीद नजर आ रहे हैं। नामांकन वापसी के बाद बुधवार को उन्होंने कहा भी कि तीसरे मोर्चे के वोट में बिखराव न हो, इसलिए उन्होंने नाम वापस लिया है। श्री यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी की कोई लहर नहीं है। वे देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। उनके प्रधानमंत्री बनने से देश टूट जायेगा। नीतीश कुमार सहीं विकल्प हैं। नीतीश कुमार ने जो विकास का कार्य किया है, उसका कायल पूरा देश है। गोपालगंज के पूर्व सांसद साधु यादव के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से नाम वापस लेने के बाद एक बार फिर वे चर्चा में आ गये हैं। साधु यादव ने करीब दो माह पूर्व सबसे पहले घोषणा की थी कि वे सारण लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। इस घोषणा के बाद क्षेत्र में काफी बहस छिड़ी कि बहन राबड़ी देवी के खिलाफ वे मैदान में उतर रहे हैं। अब महाराजगंज से नाम वापस लेने के बाद इसी प्रकार की चर्चा एक बार फिर तेज हो गयी है। साधु यादव पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के छोटे भाई हैं। उन्होंने करीब दो माह पूर्व सारण से ही अपनी बहन के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया था। कुछ लोगों का मानना था कि साधु यादव कुछ विरोधियों के इशारे पर इस तरह की घोषणा किये हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया यह बात भी पुरानी होती गयी। जब नामांकन का दौर शुरू हुआ तो साधु यादव ने अचानक महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की न सिर्फ घोषणा की, बल्कि नामांकन भी दाखिल कर दिया। नामांकन करने के बाद उन्होंने जगदम कालेज के मैदान में एक सभा भी की जिसमें श्री यादव ने कहा था कि महाराजगंज की जनता के कहने पर उन्होंने नामांकन किया है। उन्हें पूरा विश्वास है कि महाराजगंज की जनता उनके पक्ष में मतदान करेगी। इसके बाद अचानक बुधवार को नाम वापसी की तिथि के दिन साधु यादव ने महाराजगंज क्षेत्र से अपना नाम वापस ले लिया। साथ ही श्री यादव ने कहा कि वे अब तीसरे मोर्चे के लिए वोट मांगेंगे। चुनाव में एक-एक वोट का काफी महत्व होता है। वे यह नहीं चाहते हैं कि उनके चुनाव लड़ने से वोटों का बिखराव हो। राजनीतिज्ञों की मानें तो सुर्खियों में रहने के लिए श्री यादव ने इस तरह का निर्णय लिया है।


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