सड़कों में खामियां, दुर्घटना के शिकार हो रहे लोग
समस्तीपुर : जिले में औसतन हर रोज एक व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में हो रही है। 60 फीसद से अधिक दुर्घटनाएं सड़कों में खामियां होने के कारण हो रही है।
समस्तीपुर : जिले में औसतन हर रोज एक व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में हो रही है। 60 फीसद से अधिक दुर्घटनाएं सड़कों में खामियां होने के कारण हो रही है। जिले में बंगरा थाने में एनएच 28 पर ग्राम चकबंगरी पुल के पास अधिक दुर्घटनाएं हो रही। पुल कम चौड़ा है तथा रे¨लग भी ठीक नहीं है। यहां दुर्घटना रोकने के लिए सड़क पर उजले रंग का पेंट, वैरियर, धीमी गति से गाड़ी चलाने का चिह्न का बोर्ड लगाना जरूरी है। एनएच 28 पर वायरलेस चौक, मुरादपुर बंगरा चौक पर सघन आबादी के कारण दुर्घटनाएं हो रही है। यहां धीमी गति से गाड़ी चलाने का बोर्ड लगाना जरूरी है। मुर्गियाचक के पास चौमुखी रास्ता के कारण दुर्घटनाएं होती है। राजधानी रोड में अबाबकरपुर के पास सघन आबादी है। राजधानी रोड में कोठिया पुल के पास तीखा मोड़ है यहां तीखा मोड़ का ¨चह सड़क किनारे लगाने की जरूरत है। ईमली चौक तथा चांदनी चौक पर तीखी मोड़ के कारण सड़क अधिक सड़क दुर्घटनाएं हो रही है। सरायरंजन थाने में बथुआ बुर्जुग, सरायरंजन डीह, पेड़ा चौक पर तीखा मोड़ होने के कारण दुर्घटनाएं होती है। तिसवारा व गांधी चौक खालिसपुर के पास स्कूल होने के कारण दुर्घटनाएं होती है। यहां ब्रेकर की आवश्यकता है। अंगारघाट डिहुली मोड़ पर ढलान एवं टर्निंग होने के कारण दुर्घटनाएं होती है यहां पर धीमी गति से गाड़ी चलाने का ¨चह लगाने की जरूरत है। डढिय़ा असाधर मोड़ तीखा होने के कारण दुर्घटनाएं होती है। डाकबंगला चौक पर तीखा मोड़ है तथा तीन तरफ से गाड़ी आती है। ब्रेकर व धीमी गति से गाड़ी चलाने का बोर्ड लगाने की जरूरत है। दामोदरपुर में सड़क प्लेन एवं सीधा होने कारण गाड़ी तेज गति से चलती है। उजियारपुर में सौदपुर जाहिद, सातनपुर बहिरा चौक, शंकर चौक सड़क प्लेन व घनी आबादी के कारण दुर्घटनाएं होती है। तीनों जगहों पर ब्रेकर व जेबरा क्रा¨सग बनाने की जरूरत है। मुफस्सिल थाने में गरुआरा चौक पर चार मुहानी होने कारण दुर्घटनाएं होती है। समस्तीपुर-रोसड़ पथ लक्खी चौक एवं विशनपुर के बीच घनी तथा समस्तीपुर-ताजपुर रोड में बाजोपुर चौक पर धनी आबादी के कारण दुर्घटनाएं होती है। तीनों जगहों पर ब्रेकर व धीमी गति से गाड़ी चलाने का बोर्ड होना चाहिए। कल्याणपुर में दरभंगा-समस्तीपुर पथ पर जटमलपुर महादेव स्थान पर त्रिमुहानी के कारण दुर्घटनाएं होती है। यहां मार्ग सकरा है धीरे जाएं का बोर्ड लगाने की जरूरत है। समस्तीपुर -दरभंगा गोपालपुर में तीखा मोड़ के कारण प्रत्येक माह चार-पांच गाड़ियां दुघर्टनाग्रस्त होती है। इस जगह तीखा मोड़ के चेतावनी का बोर्ड लगाना जरूरी है। दरभंगा-समस्तीपुर मुख्य पथ अकबरपुर डुमडुमा पुल के पास सड़क संर्कीण व मोड़ होने के कारण दुर्घटनाएं अधिक होती है। हसनपुर में गंगासागर पुल के पास तीखा मोड़ के कारण दुर्घटना होती है। दल¨सहसराय में डैनी चौक के पास चौमुहानी होने के कारण सड़क दुघर्टनाएं होती है। पटोरी में पटोरी से मुददाबाद मुख्य पथ पर अरविन्द चौक के पास घनी आबादी व चौमुहानी के कारण दुर्घटना होती है। ब्रेकर व धीरे जाएं का बोर्ड लगाना होगा। पटोरी -हलई मुख्य मार्ग पर हवासपुर मस्जिद के पास भीड़ वाला इलाका होने के कारण दुर्घटनाएं होती है। पटोरी जनदाहा पथ सिरदिलपुर महावीर स्थान के पास सड़क संकीर्ण व चौमुहानी होने के कारण दुर्घटनाएं होती है। वैनी ओपी में शाहपुर बघौनी बड़ी मस्जिद इमामबाड़ा के पास तीखा मोड़ होने कारण दुर्घटनाएं होती है। वैनी ओपी के सामाने एक रोड से दूसरा रोड आकर मिलता है। सामने की सड़क के टी आकार के होने तथा छोटे वाहनों की भीड़ लगे रहने के कारण सड़क दुघर्टनाएं होती है। यहां बैरिके¨टग की जरूरत है।
मुसरीघरारी बथुआ एस मोड़ पास के कारण दुर्घटनाएं होती है। मुसरीघरारी चौक पर चार मुहानी होन के कारण दुर्घटनाएं होती है। यहां गोलंबर बनाकर ट्रैफिक नियंत्रण की जरूरत है। रुदौली चौक पर घनी आबादी के कारण सड़क दुर्घटनाएं होती है। यहां गाड़ी की गति को नियंत्रित करने वाला बोर्ड लगाना चाहिए। मथुरापुर ओपी के मथुरापुर घाट पर पंच मुहानी होने के कारण दुर्घटनाएं होती है। वारिसनगर में समस्तीपुर-इलमासनगर पथ पर हांसा काली स्थान के पास तीखा मोड़ के कारण दुर्घटनाएं होती है। यहां चमकीला लाइट व खतरनाक मोड़ का ¨चह लगाने की जरूरत है। वारिसनगर से सातनपुर पथ पर नकटा और लभटा के पास पुलिया क्षतिग्रस्त होने के कारण सड़क दुर्घटनाएं होती है। यहा पुलिया का निर्माण होना चाहिए।
सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नल नदारद
जिले में यातायात नियमों की अनदेखी लोगों को लील रही है। ट्रैफिक सिगनल नाम की यहां तो कोई चीज नहीं है। ओवरटेक का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। जगह-जगह हो न हो वाहनों में पास लेने की होड़
लगी रहती है। गाड़ियां चल रही होती फिर भी लोगों को जल्दबाजी रहती है। व्यवस्था पूरी तरह पस्त है और अधिकारी मस्त है। तेजी से बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर काबू पाने में विभाग अक्षम साबित हो रहा है। शहर में बढ़ते ट्रैफिक बोझ के कारण यातायात व्यवस्था चरमराने लगी है। ऊपर से शहर ही नहीं बल्कि जिले की ग्रामीण सड़कें भी अतिक्रमित है। हाल के दिनों में लगातार हुए सड़क दुर्घटना तथा जाम की समस्या के बाद यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए कुछ जगहों पर यातायात पुलिस की व्यवस्था की गई है। लेकिन,
ट्रैफिक लाइट के सिग्नल की व्यवस्था कहीं भी नहीं है। जबकि कई चौक-चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल की सख्त जरूरत है। डेंजर जोन जहां लगातार दुर्घटनाएं हो रही है। वहां भी सुरक्षा के कोई इंजताम नहीं किए गए हैं। जेबरा क्रा¨सग तो दूर की बात ब्रेकर भी नहीं बनाएं गए हैं। जहां ब्रेकर बने भी हैं तो वे मानक के हिसाब पर खरे नहीं उतर रहे हैं। इन बेतरतीब ब्रेकरों के कारण भी दुर्घटनाएं हो रही हैं। फाइबर ब्रेकर तो इक्के-दुक्के नजर आ रहे हैं। जरूरी जगहों पर भी रोड डिवाइडर नहीं है। सघन आबादी वाले जगहों, तीखे मोड़, शिक्षण संस्थानों के पास भी रोड संकेतक तथा धीरे चले सरीखे स्लोगनों के बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। चौराहे पर सुरक्षा के लिए कोई संकेतक नहीं है। वाहन इन जगहों पर सरपट दौड़ रहे होते हैं। खतरनाक चौराहों पर भी यातायात नियंत्रण के लिए पुलिस बल की तैनाती नहीं की गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सड़क दुर्घटना रोकने के लिए सबसे जरूरी है सड़कों पर यातायात चिन्ह अंकित करना है। तीखे मोड़ के कारण भी प्राय: दुघर्टनाएं होती हैं। ऐसे जगहों पर रेडियम वाला स्टीकर लगा होना चाहिए। आबादी वाले जगहों पर फाइबर वाला स्पीड ब्रेकर लगाना चाहिए। चौक-चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल होना चाहिए।
ई. रामप्रीत ¨सह, अवकाश प्राप्त अभियंता, पीडब्ल्यूडी