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चकाचौंध शहर में पग-पग मौत का खतरा

बिजली के इन तारों के बिना आदमी बेचैन भी होता है और यही तार लोगों की जान का दुश्मन भी बन जाते हैं।

By Edited By: Published: Mon, 26 Sep 2016 03:02 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2016 03:02 AM (IST)
चकाचौंध शहर में पग-पग मौत का खतरा

समस्तीपुर। बिजली के इन तारों के बिना आदमी बेचैन भी होता है और यही तार लोगों की जान का दुश्मन भी बन जाते हैं। मतलब साफ है बिजली न हो आज के इस दौर में तेज रफ्तार ¨जदगी ठहर-सी जाती है। लेकिन, जहां कहीं भी ये तार व्यवस्थित नहीं हैं। हवा के हल्के झटके में मौत बनकर बीच सड़क पर गिर जाते हैं। कभी-कभी बड़े हादसे का सबब बनते हैं। अनगिनत लोगों ने बिजली के इन तारों की चपेट में आकर अपनी जान गंवाई है। शहर को चकाचौंध करने वाली बिजली ही जान के लिए आफत बन गई है। बार-बार हादसे के बाद भी इस पर नियंत्रण रखने वाले अधिकारी बेपरवाह दिखते हैं। शहर के अतिव्यस्त इलाकों में लटके विद्युत तार बिना गार्ड वायर के मौत बनकर आम आदमी के सिर पर मंडराते रहते हैं।

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शुक्रवार को ही टला बड़ा हादसा

शुक्रवार को शहर से सटे धुरलख में 33 हजार वोल्ट के 13 खंभों के बीच का बिजली तार टूटकर गिर गया। गनीमत रही बड़ा हादसा टल गया। भगदड़ से अफरातफरी मच गई थी। यह महज संयोग था दिन के एक बजे तार टूटकर गिरा था। शाम में टूटता तो तो शायद जान-माल की भारी क्षति हो जाती।

आदर्शनगर में राहगीरों को तो 11 हजार वोल्ट का बिजली तार बचा लिया। तार सड़क पर गिरता इससे पहले 11 हजार वोल्ट के तार ने इसे अपने ऊपर थाम लिया। लोग इस बात को लेकर भयभीत रहते हैं कि पता नहीं किस इलाके में कब कहां ये तार टूटकर गिर जाए। शहर की सड़कों पर दोहरे खतरे के बीच लोगों की जिदंगी फंसी है। सड़क पर नीचे ट्रैफिक लोड के कारण सड़क दुर्घटना की आशंका तो सिर ऊपर से गुजर रहे बिजली के जर्जर तार के गलकर गिरने की संभावना। बिजली का टूटकर गिरने से सिर्फ शहरी क्षेत्रों अबतक कई की जान जा चुकी है। बावजूद विभाग इससे सबक नहीं ले रहा है। शहर में जर्जर तार को बदलने का काम पिछले पांच वर्ष से चल रहा है। विभागीय अधिकारी कहते हैं कि तार बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है। तार बदलने के बाद भी स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है। तार टूटकर व गलकर गिरने का सिलसिला जारी है। हालांकि 33 हजार का यह तार काफी पुराना है। लोगों ने इस तार को बदलने की मांग को लेकर शनिवार को हंगामा भी किया था। इसके अलावे अब भी कई जगहों पर पुराने व जर्जर तार से बिजली की सप्लाई हो रही है। यह हमेशा खतरे को निमंत्रण देती है। इन तारों का क्षमता क्षीण हो चुकी है। लगातार दो घंटे तक बिजली की सप्लाई के बाद इसके गलकर गिरने का खतरा बना रहता है।

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नहीं सुरक्षा मानकों ख्याल

शहर में बिजली के तार से सुरक्षा मानकों का कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा है। जर्जर तार को बदलने में कोताही बरती जा रही है। शहर के भीड़ वाले इलाकों से गुजरने वाले बिजली के तार में मानक के हिसाब से सुरक्षा जाली नहीं लगाई गई है। तार में सुरक्षा के लिए प्लास्टिक कवर भी नहीं लगाए गए हैं। शहर में जगह-जगह बिजली के तार मकड़े की जाल की तरह उलझें हुए हैं। बिजली की चोरी करने वाले ही नहीं फेज बदलने के लिए कनेक्शनधारी उपभोक्ता भी टोका फंसाकर काम चलाते हैं। लुज कनेक्शन के तार हमेशा स्पार्क की समस्या होती रहती है। सबकुछ देखते हुए विभाग के अधिकारी चुप रह जाते हैं। बिजली विभाग की इस लचर व्यवस्था से उपभोक्ताओं बिजली ब्रेक डाउन व अन्य समस्या से जूझना पड़ता है।

वर्जन

शहर में बिजली के तार को बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है। 33 हजार वोल्ट के 13 पोल का तार गिर गया है जिसे जोड़ने का काम जारी है। इसके चलते कल्याणपुर फीडर सहित कुछ क्षेत्रों की बिजली बाधित है। तार में सुरक्षा जाली लगाए जा रहे हैं। सुरक्षा मानकों को लेकर विभाग पूरी तरह सतर्क है।

पंकज राजेश कार्यपालक अभियंता, समस्तीपुर।


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