सीएम व शिक्षा मंत्री का भी नाम नहीं मालूम
सरकारी विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था का हाल जानने को ले दैनिक जागरण की टीम बुधवार को मध्य विद्यालय कल्याणपुर बस्ती में पड़ताल को पहुंची।
समस्तीपुर। सरकारी विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था का हाल जानने को ले दैनिक जागरण की टीम बुधवार को मध्य विद्यालय कल्याणपुर बस्ती में पड़ताल को पहुंची। जहां की वस्तु स्थिति चौकाने वाली थी। यह बातें तो सामने आई कि कहीं ना कहीं विद्यालयों के शिक्षकों के साथ-साथ सरकारी व्यवस्था भी बच्चों के भविष्य पर रोड़े अटकाने में लगी हैं। बुधवार को दैनिक जागरण की टीम दिन के 12:50 बजे विद्यालय परिसर में पहुंची तो परिसर में कुछ बच्चे इधर-उधर घूम रहे थे। जिसे शायद मध्याह्न भोजन का इंतजार था। वहीं दूसरी ओर वर्ग कक्ष का संचालन नियमानुकुल चल रहा था। हर वर्ग में शिक्षक- शिक्षिका मौजूद थी। सबसे पहले वर्ग आठ में प्रवेश किया तो कुछ बच्चियां बेच पर तो कुछ फर्श पर बैठी थी। वर्ग आठ में पढ़ाई होने वाली विषयों की बाते पुछी गई। प्रदूषण, स्वच्छता, रेखा, वृत, महीना व दिन का उच्चारण तक का सही जबाव बच्चे नहीं दे पाए। समान्य ज्ञान की जानकारी के क्रम में बच्चों ने बिहार के शिक्षा मंत्री का नाम अरुण जेटली व मुख्यमंत्री का नाम सत्येन्द्र ¨सह बताकर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। वर्ग आठ की निशा कुमारी से जब पूछा गया वर्ग क्या है तो वह चुप्पी साध गई। वहीं राज्यपाल का नाम भी नहीं बता पाई। वर्ग आठ के बच्चे से सवाल पूछा गया देश के प्रथम राष्ट्रपति का नाम तो नरेन्द्र मोदी बताया। वहीं प्रधानमंत्री नीतीश कुमार बताया गया। जिसके बाद वर्ग सात के बच्चों से भी यही सवाल पूछा गया तो एक छात्रा कौशिकी कुमारी ने प्रभावित किया। जिसने लगभग सभी सामान्य ज्ञान के प्रश्नों का सही उतर दिया। वर्ग आठ की शिमरन कुमारी, मनीषा कुमारी, अनामिका, शमा प्रवीण, निशा कुमारी, ¨पकी कुमारी सहित कई वर्गो के छात्र-छात्राओं से इसी प्रकार के सवाल पूछे गए जिसका जवाब उनके पास नहीं था। वर्ग पांच के छात्रों ने ¨हदी की किताब नहीं पढ़ पायी। जबकि वर्ग सात के कई छात्रों को अंग्रेजी की किताब पढ़ने के लिए कहा गया तो वे संकोचित हो उठे। ऐसी परिस्थतियों में गुणवतापूर्ण शिक्षण व्यवस्था की बात करना बेईमानी है।
फर्श पर बैठकर पढ़ते बच्चे, एक हजार छात्रों के लिए 30 बेंच डेस्क
एक हजार से अधिक बच्चों की क्षमता वाले इस विद्यालय में महज 30 जोड़े बैंच डेस्क ही है। जहां मजबुरन प्रतिदिन बच्चे जमीन पर ही बैठते हैं। बताया गया है कि कई बच्चों ने जमीन पर बैठने के कारण स्कूल आना छोड़ दिया है।
बगैर किताब होती पढ़ाई
शैक्षणिक सत्र 16-17 के छह महीने बीतने को है। ¨कतु हाल यह है कि यहां आठ एवं दूसरी वर्ग के बच्चे को अब तक किताब नहीं मिल पायी है। जिस कारण बिना किताब के ही बच्चे पढ़ रहें है। छात्रों ने बताया कि गाईड से पढ़ते हैं। तो शिक्षिका रेणु कुमारी, रानी कुमारी का बताना है कि जुगाड़ लगाया गया है। जो बच्चे सत्र समाप्ति के बाद दूसरे वर्ग में गए वैसे बच्चों से किताब लेकर कर पढाई कराई जाती है।
नहीं है उर्दू के शिक्षक
मध्य विद्यालय कल्याणपुर बस्ती में काफी संख्या में उर्दू पढ़ने वाले बच्चे हैं। जहां विद्यालय में एक भी शिक्षक उर्दू के नहीं होने से ऐसे बच्चे उर्दू की पढ़ाई से वंचित है। छात्रा नजाराना प्रवीण ने बताया कि उर्दू की पढ़ाई वे घर पर ही करते हैं।
प्राइमरी शिक्षक पढ़ा रहे आठव ं के बच्चे को
पूरे प्रखंड में शिक्षण व्यवस्था का हाल इसी बात से पता चलता है कि विद्यालय में विषयवार शिक्षकों की कमी है। यहां तक कि वर्ग पांच के ही शिक्षक वर्ग आठ एवं सात के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इससे सहजा अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों की पढ़ाई का स्तर क्या होगा।
963 छात्रों पर 13 शिक्षक
इस विद्यालय में 963 बच्चे नामांकित है। छात्रों की संख्या को देखते हुए एक वर्ग को दो कक्षाओं में विभाजित किया गया है। जहां मात्र 13 शिक्षक ही कार्यरत है। जिसमें एक प्रधानाध्यापक को छोड़ दें तो 10 शिक्षिका व 02 पुरुष शिक्षक एक हजार छात्रों के भविष्य को संवारने में जूटे हैं।
वर्ग कक्ष की नहीं है कोई कमी
सर्वशिक्षा अभियान के तहत इस विद्यालय में आवश्यकता के अनुसार भवन का निर्माण अवश्य कराया गया है। ¨कतु बैंच, डेस्क व शिक्षकों का घोर अभाव है।
इसी परिसर में है बीईओ कार्यालय
जिस विद्यालय के परिसर में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय हो उस विद्यालय के बच्चे का हाल यह है तो इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे प्रखंड के विद्यालयों की क्या स्थिति होगी। बताते हैं मध्य
विद्यालय कल्याणपुर बस्ती के परिसर में ही प्रखंड संसाधान केन्द्र स्थापित है जिसमें बीईओ का कार्यालय संचालित हो रहा है।
क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक
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विद्यालयों में बैंच डेस्क व शिक्षकों की कमी है। वर्ग आठ एवं वर्ग दो के बच्चे को अब तक किताब नहीं मिला है। किताब से वंचित वर्गो को पुराने किताबें के सहारे पढ़ाई कराई जाती है। सामन्य ज्ञान की भी पढ़ाई होती है।
ऐसा नहीं है कि बच्चे इसका जववा नहीं दे सकते हैं। ¨कतु जागरण की टीम को देख बच्चे घबरा गए। ऐसा अभियान पहली बार चलाया गया है। जागरण का यह प्रयास प्रशंसनीय है। इससे बच्चों के मानसिक व शैक्षणिक विकास होगा।
- नवल किशोर राय, प्रधानाध्यापक, मोहिउद्दीननगर, समस्तीपुर।