जिले में हैं 271 दागी पुलिसकर्मी
समस्तीपुर। जिले में 271 दागी पुलिसकर्मी पदस्थापित हैं। सभी पर तरह-तरह की सजा मुकर्रर हो चुकी है। इसमें से 100 पुलिस कर्मियों की विभागीय जांच पूरी हो चुकी है। हालांकि सजा के मुद्दे पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
समस्तीपुर। जिले में 271 दागी पुलिसकर्मी पदस्थापित हैं। सभी पर तरह-तरह की सजा मुकर्रर हो चुकी है। इसमें से 100 पुलिस कर्मियों की विभागीय जांच पूरी हो चुकी है। हालांकि सजा के मुद्दे पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इसमें 100 पुलिस कर्मियों को तो केवल ब्लैक मार्क दिया गया है जबकि 71 पर ¨नदन प्रस्ताव है। 31 पुलिस कर्मियों का वेतन धारित कर दिया गया है। वेतन स्थगित रहने वाले पुलिस कर्मियों में एक इंस्पेक्टर, सात सब इंस्पेक्टर, तीन एएसआई और 20 सिपाही शामिल ह ं।
किसी की पदोन्नति स्थगित तो किसी का इंक्रीमेंट
ब्लैक मार्क मिलने वाले पुलिस कर्मियों का तीन साल तक प्रमोशन स्थगित करते हुए इंक्रीमेंट बंद कर दी जाती है। बढ़े इंक्रीमेंट को तोड़ भी दिया जाता है। डिमोशन भी होना बड़ी बात नहीं है। वहीं ¨नदन में डांट फटकार कर लघु सजा देकर बरी कर दिया जाता है। डिस्पोजल किए गए मामलों में क छ को बरी कर दिया जाता है और कुछ को सजा भी दी जाती है।
डीआईजी के यहां भी लगा सकते फरियाद
सजा पाने वाले पुलिस कर्मी अपनी बेगुनाही का प्रस्ताव लेकर डीआईजी के पास अपील कर सकते हैं। उनके द्वारा यदि पीड़ित की सफाई या आनुसांगिक कागजात को मान लिया जाता है तो उसे बरी भी की जाती है या फिर सजा यथावत रहती है।
अनुशासनिक कार्रवाई के तहत दी जाती है सजा
अनुसंधान में लापरवाही का मामला हो या फिर चार्ज नहीं देने का। या फिर कार्य में लापरवाही का। इतना ही पुलिस मैनुअल का पालन नहीं करने समेत अन्य कारणों से पुलिस अधीक्षक अपने मातहत कर्मियों को ये सजा देते हैं। अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सजा दी जाती है।
वर्जन
यह सब विभाग की अंदरुनी कार्रवाई है। कार्य में लापरवाही बरतने समेत विभिन्न मामलों को लेकर कर्मियों को ऐसी सजा दी जाती है ताकि भविष्य में वे ऐसी गलती न करें।
नवल किशोर ¨सह
पुलिस अधीक्षक, समस्तीपुर।