आइसीयू भवन बना मालखाना
समस्तीपुर। सदर अस्पताल में वर्ष 2007 में 34 लाख की लागत से बनाया गया आइसीयू भवन 10 वर्ष बाद भी चालू
समस्तीपुर। सदर अस्पताल में वर्ष 2007 में 34 लाख की लागत से बनाया गया आइसीयू भवन 10 वर्ष बाद भी चालू नहीं हो सका है। लंबे अर्से बाद जिले में आइसीयू भवन बनने पर जिलावासियों में यह आस जगी थी कि अब आपात अवस्था में मरीजों को पटना या दरभंगा का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, लेकिन 10 वर्ष बीतने के बाद भी जिले के लोगों की यह उम्मीद विभागीय लापरवाही के कारण पूरी नहीं हो सकी है। आज हालत यह है कि लाखों रुपये की लागत से बने भवन को मालखाना बना दिया गया है। हर रोज सदर अस्पताल में दर्जनों ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें आइसीयू के अभाव में दरभंगा-पटना रेफर कर दिया जाता है। कुछ तो वहां तक पहुंच पाते हैं, जबकि कुछ रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। वैसे अस्पताल कर्मियों की मानें तो भवन बनने के बाद सरकार द्वारा इसे उपकरण मुहैया नहीं कराया गया। साथ ही यह भी बताया जाता है कि आइसीयू विशेषज्ञ चिकित्सक भी जिले में उपलब्ध नहीं हैं। आइसीयू भवन बनने के बाद कई जिलाधिकारी आए थे और भवन का निरीक्षण भी किया था, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हो सकी। नतीजतन आज इस भवन का प्लास्टर भी झड़ने लगा है।
आइसीयू के अभाव में सदर अस्पताल बना रेफरल अस्पताल :
आइसीयू के अभाव में सदर अस्पताल महज रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है। हर तरह के मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद सीधा-सीधा दरभंगा या पटना रेफर कर दिया जाता है। नतीजा यह होता है कि गरीब मरीजों को सही समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता है। दबी जुबान में चिकित्सक बताते हैं कि सही व्यवस्था नहीं होने के कारण हम मरीज को यहां नहीं रोक सकते हैं। रोकने के बाद अगर किसी तरह की घटना घट जाती है तो परिजन हंगामा पर उतारू हो जाते हैं।
वर्जन
कई बार इसके लिए सरकार को लिखा गया है, लेकिन उपकरण और विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं मुहैया कराया गया है। इस कारण इसका उद्घाटन नहीं हो सका है।
डॉ. अमरेन्द्र कुमार शाही, उपधीक्षक सदर अस्पताल, समस्तीपुर।