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नामांकन में खेल, विभाग गंभीर नहीं

समस्तीपुर। निजी स्कूलों में नामांकन में खेल नहीं रुक रहा है। शिक्षा विभाग भी इसके प्रति गंभीर नहीं ह

By Edited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 12:28 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 12:28 AM (IST)
नामांकन में खेल, विभाग गंभीर नहीं
नामांकन में खेल, विभाग गंभीर नहीं

समस्तीपुर। निजी स्कूलों में नामांकन में खेल नहीं रुक रहा है। शिक्षा विभाग भी इसके प्रति गंभीर नहीं है। फार्म से लेकर नामांकन फीस तक स्कूल संचालकों की मनमानी से अभिभावक लूट रहे हैं। आरटीआई इन निजी स्कूल संचालकों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। शिक्षा विभाग कुछ स्कूल संचालकों को आरटीआई के नियमों की प्रति भेजकर निश्चित हो गया है। स्कूलों के पंजीयन में लेन-देन का खेल हावी है। इसके सामने मानक की अनदेखी की जा रही है। आरटीआई के तहत नामांकन की प्रक्रिया में कोई पादर्शिता नहीं बरती जा रही है। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त स्कूल में नामांकन का मौसम आ गया है। जिले में इस तरह के स्कूल शहर से लेकर गांव तक कुकुरमुत्ते की तरह खुले हुए है। स्क ल अपने नामांकन के प्रारूप को गोपनीय रखे हुए है। हां, पंजीयन के नाम पर वसूल का खेल शुरू हो चुका है।

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फार्म के नाम पर 100 से 400 रुपये वसूले जाते

सीबीएसई से मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में नामांकन फार्म के नाम पर 100 रुपये से 400 रुपये वसूले जाते हैं। शहर से लेकर गांव तक सीबीएसई के स्कूल खुले हुए हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल भी मान्यता प्राप्त हैं। इन स्कूलों में नामांकन से लेकर फीस तक में अभिभावकों का आर्थिक शोषण हो रहा है। काशीपुर की आरती देवी बताती है कि छोटे बच्चों को बिना टेस्ट लिए ही नामांकन लेना है लेकिन कक्षा एक के भी छात्रों का टेस्ट लिया जाता है। बारह पत्थर की खुशबु कुमारी बताती है आरटीआई के तहत बच्चों को नि:श ल्क रजिस्ट्रेशन फार्म दिया जाता है या फिर 25 रुपये ही लेना है लेकिन इसकी जगह स्कूल संचालकों के द्वारा 100 से 400 रुपये तक शुल्क लिए जाते हैं।

नामांकन को लेकर प्रशासनिक आदेश

- री एडमिशन के नाम पर स्कूलों को कोई शुल्क नहीं लेना है।

- निर्धारित दुकान से ड्रेस और बुक खरीदने के लिए बाध्य नहीं करना है।

-पब्लिकेशन नहीं बदलना है, बुक लिस्ट ओपन करना है।

- बीपीएल वालों के नामांकन में पूरी पादर्शिता रखनी है।

- विकास चार्ज, वार्षिक शुल्क नोटिस बोर्ड पर डिस्पले करना है।

- एडमिशन का प्रारूप सार्वजनिक करना है।

- फीस स्ट्रक्चर में एकरूपता रखनी है।

- शुल्क बढ़ाने से पहले अभिभावकों से बातचीत करनी है।

- स्कूलों को एनसीईआरटी बुक ही चलाना है।

- 15 दिन तक स्कूल बंद रहने पर प्रबंधन छात्रों से फीस नहीं लेगा।

- वर्ग में कमजोर पड़ रहे बच्चों पर शिक्षक खास नजर रखेंगे।

- स्कूलों में शिकायत निवारण केन्द्र बनेगा, हर हफ्ते डीईओ को रिपोर्ट देनी है।

साल-दर-साल इस तरह बढ़ी फीस

वर्ष वर्ग (1-5) (6-10) (11-12)

2010 (400- 600) (700-800 ) (1000-1100)

2011 (500- 700) (800-900 ) (1100-1200)

2012 (600- 800) (900-1000 ) (1200-1300)

2013 (650- 850) (950-1050 ) (1250-1350)

2014 (700- 900) (1000-1100 ) (1300-1400)

2015 (800- 1000) (1100-1200 ) (1400-1500)

2016 (900- 1100) (1200-1300 ) (1500-1600)

वर्जन

सभी स्कूलों को आरटीईआई का अक्षरश: पालन करने का निर्देश दिए गए हैं। आरटीआई के बारे में सभी स्कूलों को जानकारी दी गई है। समय-समय पर उन्हें निर्देश जारी किया जाता है। मानक पर खड़े उतरने वाले स्कूलों का ही पंजीयन होना है। बीपीएल परिवार के बच्चों के निर्धारित कोटे पर नामांकन लेकर नि:शुल्क शिक्षा देना है। मनमानी फीस की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

बीके ओझा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, समस्तीपुर।


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