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तालाब संरक्षण को लोगों ने बढ़ाया कदम

समस्तीपुर । रोसड़ा में शुक्रवार को अहले सुबह पौ फटते ही प्रखंड के हिरमिया पोखर के निकट लोगों का

By Edited By: Published: Fri, 27 May 2016 10:42 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2016 10:42 PM (IST)
तालाब संरक्षण को लोगों ने बढ़ाया कदम

समस्तीपुर । रोसड़ा में शुक्रवार को अहले सुबह पौ फटते ही प्रखंड के हिरमिया पोखर के निकट लोगों का जमावड़ा होने लगा। धीरे-धीरे दर्जनों महिला-पुरूष तालाब के परिसर में उतरे और सभी ने एक साथ साफ-सफाई प्रारंभ कर दी। कई लोग तालाब की पानी में प्रवेश कर उसमें तैर रहे गंदगी को छान-छान कर बाहर निकालने लगे, तो कई किनारे फेंके गए कचड़े की सफाई में तन्मयता से जुट गए। जबकि हाथ में कुदाल लिए युवा वर्ग आसपास पड़े जंगलों की सफाई में लग गए। ऐसा लग रहा था जैसे कि ग्रामीणों द्वारा कोई विशेष सफाई अभियान की शुरूआत की गई हो। पूछने पर साफ-सफाई में जुटे ग्रामीणों ने एक स्वर से पोखरा व तालाब की संरक्षण का संकल्प दोहराते हुए कहा कि दैनिक जागरण द्वारा जलाए गए अलख ने हमारी आंख खोल दी है। और हमने भी अपने भविष्य के लिए भू-जल संरक्षण का निर्णय लेते हुए इस ओर कार्य प्रारंभ किया है। अभियान में शामिल जरही एवं स्थानीय पासवान टोली के लोगों ने कहा कि अपने बल पर पोखरा को साफ-सफाई कर सौंदर्यीकरण का प्रयास किया जा रहा है। पूर्वजों द्वारा स्थापित इस तालाब रूपी धरोहर को जीवंत रखने तथा बहु उपयोगी बनाने का संकल्प दोहराते हुए ग्रामीणों ने क्षेत्र के अन्य गांव के लोगों से भी अपने-अपने तालाबों के संरक्षण का आह्वान किया। साथ ही दैनिक जागरण द्वारा सामाजिक सरोकार से जुड़े इस प्रकार के चलाये जा रहे लगातार खबर को भी जमकर सराहा। पोखरा के साफ-सफाई में शामिल ग्रामीणों में अमरनाथ पासवान, उदय कुमार, मुनमुन कुमार, अभिमन्यु कुमार, अर्जुन पासवान, रामपड़ी देवी, विनोद पासवान, चीनी लाल सहनी, नंदन पासवान, ज्योति देवी, ललिता देवी, टुनटुन सहनी, गुलाबी देवी समेत कई दर्जन लोग शामिल थे।

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तालाब से होंगे कई फायदे

साफ-सफाई में लगे ग्रामीणों ने पोखरा को हर हाल में जीर्णोद्धार कर सालों भर पानी की व्यवस्था रखने की बात करते हुए कहा कि इससे कई प्रकार के फायदे संभव हैं। फसलों के पटवन एवं मवेशियों के पेयजल के लिए उपयुक्त बताते हुए कहा कि एक ओर जहां जल संकट से छुटकारा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर मछली पालन कर इसे आय का भी साधन बनाया जा सकता है। और उक्त राशि से तालाब भी हमेशा चमकता और चमचमाता रहेगा।

अभियान का दिख रहा असर

दैनिक जागरण द्वारा भूल जल संरक्षण को ले ''तलाश तलाबों की'' लगातार प्रकाशित किये जा रहे स्तम्भ का सीधा असर अब दिखने लगा है। विगत 14 मई को हिरमिया पोखर से सम्बन्धित खबर भी उक्त स्तम्भ में शामिल किया गया था। जिसमें पूर्वजों द्वारा जल संरक्षण के लिए स्थापित धरोहर की स्थिति बद्दतर बताते हुए इसके संरक्षण व सौंदर्यीकरण पर जोर दिया गया था। सैकड़ों वर्ष पुराना यह पोखरा क्षेत्र के कई गांवों के किसानों के लिए कभी पटवन का एक मात्र साधन हुआ करता था। इसके साथ ही लोगों के स्नान एवं धार्मिक कार्यों के साथ-साथ मवेशियों के लिए भी यह उपयोगी रहा था। लेकिन विगत दशकों में लोगों की उपेक्षा एवं तालाब व पोखरा के प्रति उदासीनता के कारण धीरे-धीरे यह तालाब भी अपना अस्तित्व खोता दिख रहा था। अखबार में प्रमुखता से खबर छपने के बाद आस-पास के लोगों ने इसका संज्ञान लिया और शुक्रवार को सीधा असर भी दिखने को मिला।

बोलें ग्रामीण

गांव के व्यवसायी विजय कुमार दास ने कहा कि तालाब को सुंदर और संरक्षित रखना हमारा अपना क‌र्त्तव्य है। इससे जहां जल संकट से छुटकारा मिलेगा, वहीं तालाब को स्थापित करने वाले पूर्वजों के आत्मा को भी शांति मिलेगी। जिन्होंने भविष्य के लिए इस तालाब का निर्माण कराया था।

सामाजिक कार्यकत्र्ता गणेश शर्मा ने कहा कि तालाब जल संचय का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसको अपने स्वरूप में लाकर भविष्य में किसी भी प्रकार के जल संकट से निजात पाया जा सकता है। उन्होंने इसके मद्देनजर क्षेत्र में जागरुकता अभियान चलाने की आवश्यकता बताते हुए जागरण द्वारा चलाये गए मुहिम को अद्वितीय बताया।

किसान मुनमुन पासवान ने तालाब व कुण्ड के समाप्त हो रहे अस्तित्व पर ¨चता जताते हुए कहा कि इसे संरक्षित रख कर लगातार गिरते भू-जल स्तर को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि घर की तरह तालाबों को भी संरक्षित रखना आवश्यक है। नहीं तो वह दिन दूर नहीं, जब लोग बूंद-बूंद के लिए तरस जाएंगे।

गांव के युवक अर्जुन पासवान ने जागरण के मुहिम से युवा वर्गों को जुड़ने का आह्वान किया। कहा कि सामाजिक सरोकार से जुड़े इस अखबार ने लोगों को भविष्य में होने वाले जल संकट से पहले ही आगाह करा दिया है। अब हमारा क‌र्त्तव्य है कि अपने भविष्य के जल संकट से निजात पाने के लिए अभी से ही तालाब और पोखरों को संरक्षित रखें।

प्रगतिशील किसान नन्द कुमार ने तालाब व कुंड के समाप्त हो रहे अस्तित्व को भविष्य के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि यदि अब भी हम नहीं चेते तो निश्चित रूप से अगली पीढ़ी को इसका भयंकर खामियाजा भुगतना पड़ेगा।


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