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चकदेवी तालाब को तारणहार का इंतजार

समस्तीपुर। धर्म शास्त्रों में तालाबों का बड़ा महत्व माना गया है। यही कारण रहा है कि सभी राजा - महाराज

By Edited By: Published: Wed, 18 May 2016 11:12 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2016 11:12 PM (IST)
चकदेवी तालाब को तारणहार का इंतजार

समस्तीपुर। धर्म शास्त्रों में तालाबों का बड़ा महत्व माना गया है। यही कारण रहा है कि सभी राजा - महाराजाओं ने अपने राज्यों में तालाब खुदवाये थे। यहां तक कि अधिकतर कर्मकांड व धर्मिक अनुष्ठान व संस्कार भी उन तालाब व पोखरों के किनारे हीं संपन्न होते थे। लेकिन समय के साथ तालाबों पर निजी स्वार्थ व संकुचित मानसिकता की नजर लग गई। सुख - सुविधाओं को ध्यान में रखकर जनहित में तालाब का निर्माण कराया गया था। परंतु अब तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। प्रखंड के रामपुर जलालपुर पंचायत क रोसड़ा पथ के किनारे स्थित चकदेवी पोखर इस तथ्य का जीवंत उदाहरण बना है।

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सरकारी स्तर पर हो रहा देखभाल

प्रखंड के रामपुर जलालपुर पंचायत में रोसड़ा पथ के किनारे स्थित चकदेवी पोखर को एक तारणहार की तलाश है। करीब 2 सौ वर्ष पूर्व पटना के जमींदार बालदेव बिहारी ने उक्त तालाब की खुदाई करायी थी। बताया जाता है कि रामपुरजलालपुर की एक देवी माई के कहने पर लगभग 10 बीघे भूखंड पर उक्त तालाब का निर्माण कराया गया था। जिसका देखभाल सरकारी स्तर पर अंचल कार्यालय द्वारा आज भी किया जा रहा है।

व्यापारी करते थे बर्तन का उपयोग

पोखर के पास रहने वाले भूट्टू पंडित ने बताया कि तालाब का अपने आप में एक इतिहास है। बुजुर्गे का कहना है कि इस तालाब के जल में पीतल का बर्तन रहता था। जिसका इस्तेमाल व्यापारी अपना खाना बनाने के लिए करते थे। लेकिन एक दिन किसी व्यापारी ने बर्तन चुरा लिया। जिसके बाद तालाब में बाकी बचे बर्तन भी जल में विलीन हो गये। लोगों के लाख प्रयास के बाद भी एक बर्तन नहीं मिल सका था। उसके बाद धीर - धीरे इस तालाब का अस्तित्व मिटता चला गया। हाल है कि आज इस तलाब में एक बूंद भी पानी नहीं है। नतीजा है कि जहा एक समय लोगों की भीड़ हुआ करती थी वहां अब मवेशी बांधे जाते हैं।

बुजुर्गों व युवाओं ने भी जताई ¨चता

तालाब के समीप स्थित महावीर मंदिर के बुजुर्ग पुजारी दिवान झा बताते हैं कि एक समय था की तालाब के निर्मल जल से आसपास के लोग अपने घरों का पूरा काम करते थे। शहर जाने वाले उन दिनों के व्यापारी बैलगाड़ी का इस्तेमाल करते थे। गर्मी के दिनों में जब व्यापारी थका - हारा आते थे, तो महावीर मन्दिर के पास विश्राम कर तालाब के पानी से अपनी प्यास बुझाते थे। इस पानी का इस्तेमाल ग्रामीण दाल बनाने, कपड़ा धोने व स्नान करने के लिए भी करते थे।

पोखर के प्रति थी आस्था

भूट्टू पंडित बताते हैं कि पहले लोगों में तालाब व पोखर के प्रति धार्मिक आस्था थी। कहा जाता है कि एक तालाब खुदवाना कई यज्ञ कराने के बराबर होता था। इसलिए लोग तालाब के रखरखाव व उसकी शुद्धता पर ध्यान रखते थे। परंतु बढ़ती आबादी व संसाधन के प्रयोग की वजह से तालाब का अस्तित्व अब समाप्त हो रहा है।

तालाब है पूर्वजों का प्रतीक

वही शहर मे रह रहे अंतेष कुमार ¨सह ने कहा कि तालाब हमारे पूर्वजों का प्रतीक है। पूर्वजों के विरासत को संरक्षित करना चाहिए। इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

अंधे विकास की भेंट चढ़ रहा तालाब

स्थानीय कई बुजुर्गो का कहना है कि पहले इतने बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक यंत्रों का विस्तार नहीं हुआ था। लोग पीने के पानी का उपयोग कुआं या फिर जलाशयों से करते थे। इस कारण जल संचय के प्रति लोग काफी गंभीर रहते थे। त्योहारों के मौके पर तालाबों के किनारे मेले व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता था। पर लोगों की अनदेखी का शिकार तालाब की रमणीयता समाप्त हो रही है। अब तालाब मे पीने योग्य क्या किसी काम के लिए पानी बचा ही नहीं है। तालाब के घाट भी अब जीर्ण - शीर्ण हो चुके हैं। सालों भर कभी ना सूखने वाला चकदेवी तालाब आज पानी की एक - एक बूंद को तरस रहा है। अब जब गर्मी के दिनों में क्षेत्र के गिरते जलस्तर से पेयजल संकट का खतरा मंडराने लगा है, तब लोगों को तालाबों का महत्व एक बार फिर समझ में आने लगा है।

जागरण का है बेहतर प्रयास : अंचलाधिकारी

अंचलाधिकारी अजय कुमार कहते हैं कि तालाब व पोखर जो सरकारी है उनके जीर्णेद्धार के लिए प्रखंड मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी को आदेश दिया जाएगा। तालाबों का संरक्षण हम सबों को मिलकर करना चाहिए। प्रखंड के लोगों से तालाब व पोखरों को जीवित रखने की अपील की। कहा है कि यह भविष्य के लिए बहुत हीं जरूरी है। वहीं दैनिक जागरण का तालाबो की तलाश एक अच्छा प्रयास है। इसके माध्यम से हमे भी तालाबों का इतिहास जानने का मौका मिला है। जल्द ही तुरहा पोखर को भी विकसित करने का प्रयास किया जायेगा। तालाबों के मिलकानों से वार्ता कर जीवंत कराने का प्रयास करेंगे।


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