आइसीयू के अभाव में दम तोड़ रहे मरीज
समस्तीपुर। साहब, गरीबों को मुफ्त चिकित्सा मुहैया कराने का दावा हवा हवाई है यहां। दावे जो भी हो पर यह
समस्तीपुर। साहब, गरीबों को मुफ्त चिकित्सा मुहैया कराने का दावा हवा हवाई है यहां। दावे जो भी हो पर यहां सच्चाई यहीं है। इलाज के नाम पर रेफर मुक्कमल इलाज साबित हो रहा है। दिन मंगलवार, समय 10 बजे। सदर अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष इनसेंटिव केयर यूनिट (आइसीयू) पर कुछ लोग खड़े होकर यही चर्चा कर रहे थे। कहा कितना बढ़यिा यह भवन बना है। लगता है यहां पर खास बीमार लोगों के इलाज की व्यवस्था है। पर जब इसके अंदर झांककर देखा तो चारो ओर खाली हीं खाली। यानी यह आइसीयू तो है, पर इसमें कोई संसाधन हीं नही। आखिर इलाज कहां होता है। ना ही इसमें कहीं बेड लगा है, ना हि यहां बिस्तर लगा है, और तो और इसमें डाक्टर साबह की कुर्सी भी नहीं है। उसी में से एक आवाज आती है कमाल है इतना रुपया खर्च हुआ होगा। तब यह भवन बनकर तैयार हुआ होगा। पर जब इतना सब खर्च हो गया तो यह खाली क्यों है। यह समझ में नहीं आ रहा है। यदि इसके रोगी आ जाएंगें तो कहां जाएंगे। यह तो गंभीर सवाल है। इसमें आश्चर्य करने वाली कोई बात नहीं है यह स्वास्थ्य महकमा है। आखिर यह सरकारी अस्पताल ही तो है।
बता दें कि सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा मिलने के बाद से यहां मरीजों की जमघट लगती है। लेकिन, इसके अनुरुप मरीजों के इलाज में महज औपचारिकताएं हीं यहां होती है। इसके चलते यहां आने वाले अधिकांश मरीजों को चिकित्सकों द्वारा डीएमसीएच या पीएमसीएच में रेफर करने का कर्तव्य पूरा करते हैं। सर्वाधिक दुखद पहलू यह है कि मरीजों की सुविधा की खातिर राशि की कोई कमी नहीं है। लेकिन सदर अस्पताल में सुविधाएं बढ़ने की रफ्तार काफी धीमी है।
इतिहास पर एक नजर
वर्ष 2006 में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने आइसीयू के लिए इस भवन का शिलान्यास किया था। करीब ढ़ाई वर्ष में इसका निर्माण करा कर महकमे ने अपनी पीठा थपथपा ली। पर आवश्यक उपकरणों को अब तक यहां उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। नतीजतन, यहां आने वाले गंभीर मरीजों को उचित इलाज संभवना नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यहां कई मरीज आये दिन मौत के गले लगा रहे है, तो कई आपातकालीन स्थिति में डीएमसीएच या पीएमसीएच रेफर कर दिये जा रहे है। इससे अस्पताल में प्रबंधन को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। चिकित्सकों व कर्मियों को आये दिन मरीज के परिजनों के आक्रोश का शिकार होना पड़ता है। लेकिन अबतक किसी ने भी इसे चालू करने की दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाया है। मुख्यमंत्री द्वारा किया गया शिलान्यास पट भी भवन के अंदर रख दिया गया है। अब सवाल उठता है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है। स्वास्थ्य महकमा मामले पर चुप्पी साध रखी है। सूबे के स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाओं के लिए आदेश तो दे दिया परंतु स्वास्थ्य प्रशासन की अनदेखी के कारण कई योजनाएं आधी-अधूरी पड़ी हुई है। क्या होगा कहना मुश्किल लगता है।
वर्जन :
आईसीयू भवन बन कर तैयार है। इसमें जरुरी उपकरणों को लगाने की प्रक्रिया शुरु है। इसके लगते हीं आइसीयू की सुविधा मरीजों को मिलनी शुरू हो जाएगी।
- डा. अवध कुमार,
सिविल सर्जन, समस्तीपुर।