देश की संस्कृति व संगीत को संरक्षित करे सरकार: सलील भट्ट
समस्तीपुर । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रीय संगीत के माध्यम से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले कई उ
समस्तीपुर । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रीय संगीत के माध्यम से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले कई उपाधियों से विभूषित व सात्विक वीणा के रचनाकार पंडित सलील भट्ट देश की संस्कृति व शास्त्रीय संगीत की हो रही उपेक्षा से आहत है। कहा केंद्र एवं सभी राज्यों की सरकारों को संस्कृति एवं शास्त्रीय संगीत को संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। ताकि हमारी युवा पीढ़ी अपने उन विरासतों से विमुख न होकर इसके माध्यम से भी अपने कौशल का विकास कर सभी क्षेत्रों में सफलता का परचम लहराए। लेकिन, सरकारें इस मामले में संवेदनहीन बनी हुई है। नतीजतन ¨हसक जानवरों को संरक्षित करने पर सरकार लाखों-लाख हर वर्ष खर्च कर रही, लेकिन अपने देश की इस मूल धरोहर को संरक्षित करने में संवेदनहीन बनी हुई है। बावजूद इसके मैं स्पीक मैके संस्था के माध्यम से देश के बच्चों में संगीत के प्रति जागरूकता अभियान में जुटे हुए हैं। श्री भट्ट रविवार को यहां एक कार्यक्रम में भाग लेने को लेकर पहुंचे थे। जहां खास बातचीत में कहा कि शास्त्रीय संगीत का इतिहास पचीस हजार साल पुराना है। लेकिन इस संगीत के प्रति बढ़ती अज्ञानता देश की संस्कृति से लोगों को विमुख कर रही है। जिसके कारण लोग अपसंस्कृति की बनने वाली फिल्मों में मनोरंजन करने के बहाने अपने असल उद्देश्यों से दूर होते जा रहे हैं। परिणाम स्वरूप अगर आज यहां सनीलियोन जैसे कलाकारों के कार्यक्रम के आयोजन हों तो लोग महंगे टिकट भी खरीद कर भाग लेंगे। यह सब सरकार की उदासीनता का हीं तो परिणाम है। कहा पहले के राज-राजवाड़े इस संगीत की कद्र जानते थे। क्योंकि उनमें संगीत की शक्ति का पता होता था। महाज्ञानी पंडित रावण भी अपनी इसी शास्त्रीय संगीत कला के माध्यम से भगवान तक को आकर्षित कर लिया करता था। इस संगीत कला की शक्ति से मनुष्य अपनी एकाग्रता पर काबू पाकर हर कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है। बता दें श्री भट्ट अपने परिवार के 14 पीढ़यिों की इस शास्त्रीय संगीत विरासत की कमान संभाले निरंतर देश विदेश में इसका डंका बजाया है। इनके पीढ़यिों ने राजा मान¨सह एवं सवाई माधो¨सह के राज परिवार के संगीत की विरासत को संभाल रखा था। इनके पिता पंडित मनमोहन भट्ट शास्त्रीय संगीतज्ञ के साथ स्वतंत्रता सेनानी भी रहे। आज पंडित सलील ग्लोबल इंडियन, तंत्री सम्राट, राष्ट्रीय संगीत गौरव सम्मान, महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन एवं राजस्थान गौरव समेत करीब 12 आवार्ड से सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।