अनोखी अदालत में मिलती है अनोखी सजा
समस्तीपुर। कुरेड़ियार समाज का अपना कानून व अपनी अदालत है। इनका कोई भी मामला चाहे वह हत्या का हीं क्यो
समस्तीपुर। कुरेड़ियार समाज का अपना कानून व अपनी अदालत है। इनका कोई भी मामला चाहे वह हत्या का हीं क्यों न हो, थाना-कचहरी तक नहीं पहुंचता है। इस समाज के लोग स्वयं अपनी अदालत लगाते हैं और अपना फैसला खुद देते हैं। जिसे सभी को मानना पड़ता है। इसकी स्पष्ट झलक गोही-रामपुर विशुन गांव स्थित गाछी में रविवार को दिखी। हालांकि अभी मात्र दरभंगा व समस्तीपुर के लोग हीं यहां जुटे हैं। बुधवार को यहां दस जिलों के लोग जुटेंगे। उस दिन महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। उक्त बातें कुरेड़ियार संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल करोड़ी ने कही। कहा कि मुगलकाल से ही हमारी अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता परम्परागत चली आ रही है। आज भी पूरे बिहार में लाखों की तादाद में घूमन्तु कुरेड़ियार जाति के लोग अपनी संस्कृति के रूप में महासभा पंचायत का आयोजन करते हैं। छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्याओं को भी इसमें अपने स्तर से निपटारा कर लिया जाता है। पहले जुर्माने की रकम से उसी महापंचायत में भोज का आयोजन किया जाता था, परंतु अब उस पैसे को जमा कर समाज के विकास की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
ऐसे लगता है अदालत
सभी पक्ष व पंच जमीन पर गोला बनाकर बैठ जाते हैं। एक तरफ पंच तो सामने वादी-प्रतिवादी। सिपाही आरोपियों को पकड़कर लाता है व फिर अदालत में सजा सुनाई जाती है।
यह है अनोखे फैसले
- गोही के उपेन्द्र करोडी को रूरेन करोड़ी ने चाकू मारकर जख्मी कर दिया। पंच के आदेश पर सामूहिक पिटाई करते हुए 5051 रुपये जुर्माना सुनाया गया।
- लहेरियासराय के धनेला निवासी कारीकंत ने दो शादी कर लिया था। उन्हें 51 हजार रुपये जुर्माना किया गया।
- ¨सघिया के श्याम करोड़ी ने एक लड़का रहने के बावजूद दूसरी शादी कर ली थी। इसे भी 51 हजार रुपये जुर्माना चुकाना पड़ा।
यह थे पंच
दरभंगा के रूदल धामी, शिवाजीनगर के चिफल धामी, जितवरिया के बहादुर धामी, भोला धामी, नवेद धामी तथा सुखदेव धामी अदालत में पंच के रूप में उपस्थित थे। वहीं सिपाही के रूप में बेनीपुर का सागर करोड़ी काम कर रहा था।