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जनता के दिलो-दिमाग पर छाया था महामहिम का जादू

समस्तीपुर। पूसा के हास्पीटल चौक स्थित मैदान में बने हेलीपैड तक बनी सड़क पर शनिवार की अल सुबह से ही भी

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 01:08 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 01:08 AM (IST)
जनता के दिलो-दिमाग पर छाया  था महामहिम का जादू

समस्तीपुर। पूसा के हास्पीटल चौक स्थित मैदान में बने हेलीपैड तक बनी सड़क पर शनिवार की अल सुबह से ही भीड़ इकटठा होने लगी थी। इस बात की परवाह किये बगैर बहुत लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। ये उस तरह के लोग थे। स्त्री और पुरूष, जवान और बूढ़े। छात्र और छात्राएं, जिन्हें नेता लोग अक्सर अपनी रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए भाड़े पर लाते हैं। लेकिन वहां किराये की बसों का कोई चिह्न नजर नहीं आ रहा था। आखिरकार धूल का गुबार उड़ाती हुई 24 सफेद एम्बेसेडर कारों का काफिला इंतजार करती भीड़ के पास से गुजरा था। इस एक झलक को पाकर ही संतुष्ट हो गए ग्रामीण शायद अपने काम पर वापस लौट जाते, लेकिन तब उनकी खुशी का ठिकाना न रहा था, जब अचानक काफिले के बीच की एक कार से वह चांदी से सफेद बालों वाले छोटे से व्यक्ति ने उनकी तरफ हाथ हिलाया, जिसका वे इंतजार कर रहे थे। इस कार्यक्रम में महामहिम का जादू जनता के दिल और दिमाग पर चलता दिखा था। मिसाइल मैन के इस कार्यक्रम में इतनी ज्यादा भीड़ आकर्षित हुयी थी कि बड़े से बड़े राजनेता भी जलन पैदा कर बैठे। देश के ग्यारहवें और सबसे असाधारण राष्ट्रपति से हाथ मिलाने के लिए सुरक्षाकर्मियों की परवाह न करते हुए भीड़ टूट रही थी। राष्ट्रपति का बाल प्रेम उस दिन भी देखा गया। पूसा स्थित अतिथि भवन में जहां वे तीन चयनित बच्चों से मिले थे, वहीं कार्यक्रम स्थल पर पर राष्ट्रगान गा रही छात्राओं की ओर भी वे सहज रूप से मुखातिब हो उठे थे। महामहिम के पैर छूने और उनसे आटोग्राफ लेने का दौड़ भी अनवरत चलता रहा था। यद्यपि एक क्षण की झलक पाने की इच्छा लिए आमजन राष्ट्रपति को करीब से तो नहीं देख पाए उनके तीन हेलीकॉप्टर एवं गाड़ियों के काफिलों मे से उनके अभिवादन ने लोगों के हृदय रोमांचित कर दिया था। ..शायद उन्हें देखने का दुबारा मौका नहीं मिलता।

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बात ग्यारह साल पुरानी है लेकिन है बहुत महत्वपूर्ण। 14 फरवरी 2004 (शनिवार)। तत्कालीन महामहिम एपीजे अब्दुल कलाम पूसा पहुंचे थे। वे यहां राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में भाग लेने आए थे। यहां आने के क्रम में उन्होंने कहा था कि वैज्ञानिकों पर देश की महती जिम्मेवारी है। उन्होने ऐसी तकनीक विकसित करने की सलाह दी थी जहां से अंतराष्ट्रीय कृषि विपनन के क्षेत्र में सूबा अपनी अग्रणी पहचान बना सके। ¨चता जताते हुए उन्होंने कहा था कि खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में बिहार का देश में बारहवां स्थान है। जबकि यहां उर्वरा भूमि, जल की उपलब्धता एवं मेहनतकश किसानों की कमी नहीं है।


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