रेल कारखाना के अस्तित्व पर संकट
जासं, समस्तीपुर : समस्तीपुर रेल कारखाना फिर अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। नतीजतन विगत छह माह से सा
जासं, समस्तीपुर : समस्तीपुर रेल कारखाना फिर अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। नतीजतन विगत छह माह से सामग्री के अभाव में कारखाना में निर्माण कार्य बाधित है। वहीं करीब 15 से 20 वर्षों में कर्मचारियों की प्रोन्नति नहीं हुई है। इससे कामगारों के माथे पर ¨चता की लकीर खींचने लगी है। समस्या को देखते हुए समस्तीपुर रेल विस्तार विकास मंच के संयोजक शत्रुध्न प्रसाद पंजी ने मई से चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है।
1881 में हुई स्थापना : इस रेल कारखाना की स्थापना अंग्रेजी हुकूमत में सन् 1881 ई. में हुई थी। तब यहां कोयला इंजन एवं सवारी गाड़ियों के डब्बे की मरम्मत होती थी। यह कार्य 1960 तक निर्बाध गति से चलता रहा। वहीं कारखाना अपने कार्य में कीर्तिमान स्थापित करता रहा।
जगजीवन राम ने की थी पहल : 1960 में समस्तीपुर रेल कारखाना के अस्तित्व पर पहला ग्रहण लगा। तब तत्कालिन रेल मंत्री स्व. जगजीवन राम की पहल पर कारखाना अस्तित्व में लौटा। इसके बाद से इस कारखाना में माल गाड़ी में खास कर एक्सप्लोसिव ढ़ोने वाले डब्बों का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
बीस वर्षों बाद फिर लगा ग्रहण
कारखाने पर एक बार ग्रहण 80 व 90 के दशक में लगा। कर्मचारियों में हायतौबा मच गया। क्षेत्र का विकास ठप पड़ने लगा। इसके बाद 1991-92 में समस्तीपुर रेल विस्तार विकास मंच के तत्वावधान में जनप्रतिनिधियों एवं समाजसेवियों ने अनवरत आंदोलन चलाया। तब अमान परिवर्तन के साथ रेल कारखाना को भी संकट से उबारा गया। इसके बाद रेल कारखाना में मालगाड़ी का निर्माण कार्य शुरू हो गया।
कार्य रुकने से कर्मियों में रोष
समस्तीपुर रेल कारखाना में सामग्री के अभाव में निर्माण कार्य छह महीने से बाधित है। निर्माण कार्य में बाधा व भविष्य संकट में देख कर्मचारियों में रोष है। कर्मियों की समस्या व समस्तीपुर के विकास में आने वाली बाधा को लेकर स्थानीय लोग भी आक्रोशित हैं।