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विद्यालय प्रधान को बनाया बंधक

विभूतिपुर, संस : विद्यालय के कायम गड़बड़ी के खिलाफ प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय टभका के विद्यालय प्र

By Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 04:14 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 04:14 AM (IST)
विद्यालय प्रधान को  बनाया बंधक

विभूतिपुर, संस : विद्यालय के कायम गड़बड़ी के खिलाफ प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय टभका के विद्यालय प्रधान राम महेश मोची एवं अन्य शिक्षकों को ग्रामीणों ने घंटों बंधक बनाया। ग्रामीण विद्यालय में गंभीर वित्तीय अनियमितता, छात्रवृत्ति वितरण में धांधली, पठन-पाठन की कुव्यवस्था, लेखा-जोखा में गड़बड़ी, भवन का अभाव, पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं, शौचालय के प्रबंध नही होने से आक्रोश थे। आंदोलनकारी ग्रामीणों का नेतृत्व समाजसेवी एवं भाजपा नेता राजीव रंजन, पंचायत समिति सदस्य विजय कुमार चौधरी, शिक्षा प्रेमी प्रियरंजन आदि कर रहे थे। इस आशय की सूचना जब शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों एवं प्रशासन को जब मिली कि प्रधान एवं शिक्षकों को कमरे में बंद कर बंधक बनाया गया है तो बीआरपी रामसुरेश प्रसाद सिंह, राजेश कुमार तथा संकुल समन्वयक विनोद प्रसाद विद्यालय पर पहुंचे। दूसरी ओर प्रशासन की ओर से अंचलाधिकारी विभूतिपुर की उपस्थिति में विद्यालय प्रधान एवं शिक्षकों को मुक्त कराया गया। आंदोलनकारियों ने विद्यालय की दुर्गति के लिए विद्यालय प्रधान को जिम्मेवार ठहराया। समाजसेवी राजीव रंजन ने अंचलाधिकारी को विस्तार से बताया कि उनके द्वारा इस गांव को गोद लिया गया है। उनका स्वप्न है कि विद्यालय इस प्रखंड का मॉडल बने। विद्यालय प्रधान के द्वारा एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर नहीं किए जाने के कारण सरकारी धन का सहयोग विद्यालय को प्राप्त नहीं हो रहा है। शिक्षकों के प्रतिनिधियों एवं अंचलाधिकारी के समझाने-बुझाने पर प्रधान राम महेश मोची ने एग्रीमेंट पत्र पर हस्ताक्षर किए। विद्यालय प्रधान का कहना था कि वे जनवरी में सेवानिवृत हो रहे हैं। इसलिए भय लग रहा था। इसके बाद आंदोलनकारी छात्रवृत्ति की राशि का खाता का विवरण लेने के लिए डटे थे। जिसे प्रधान घर पर छोड़े हुए थे। अंचलाधिकारी के निर्देश पर यह लाने के लिए उन्हें घर भेजा गया। इधर, पूछे जाने पर सीओ अशोक कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है। बताया गया है कि इससे पूर्व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने भी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए अभिलेख नहीं दिखाए जाने की शिकायत की थी। आंदोलन में समझौता हो जाने से ग्रामीणों का आक्रोश थमा है।


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