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पंचम व परीक्षित ने मिलकर लगाया शव को ठिकाने

By Edited By: Published: Thu, 18 Sep 2014 11:26 PM (IST)Updated: Thu, 18 Sep 2014 11:26 PM (IST)
पंचम व परीक्षित ने मिलकर  लगाया शव को ठिकाने

जासं, समस्तीपुर : एक जांच केन्द्र संचालक के आवास पर सजी महफिल के दौरान हुई निजी नर्सिग होम के कम्पाउंडर की मौत मामले में पुलिस जांच तेज हो गई है। घटना में गिरफ्तार सिपाही भगवान सिंह व अमित सिंह उर्फ राही पंचम को जेल भेज दिया गया है। एसपी ने इस घटना में संलिप्त पाये गए दो पुलिस जवानों को निलंबित करते हुए उन पर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। इस घटना में संलिप्त अन्य आरोपियों एवं पुलिस के एक फरार जवान की खोज जारी है। हालांकि पुलिस के लिए घटना में संलिप्त एक अन्य जवान की गिरफ्तारी व उसके सर्विस रिवाल्वर की बरामदगी चुनौती बनी है। वैसे इस घटना में गिरफ्तार जांच केन्द्र संचालक राही पंचम ने घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है। पुलिस को दिये गए बयान में उसने कहा है कि कम्पाउंडर की मौत के बाद दोनों पुलिसकर्मी वहां से गायब हो गए थे। जबकि जांच केन्द्र संचालक का अन्य दोस्त वहीं मौजूद था। इन्हीं दोस्तों में से एक परीक्षित गुप्ता की मदद से उसने शव को तिरहुत अकादमी के पास लाकर पटक दिया था। ताकि पुलिस का ध्यान इधर-उधर भटक जाए। पर यहां यह भी गौरतलब है कि एक दिन पूर्व शिक्षक की हत्या को लेकर सारी रात पुलिस उस क्षेत्र में गश्त लगा रही थी। इसमें वरीय पदाधिकारी भी शामिल थे। बावजूद इसके इस सबसे बेखौफ पुलिस वाले उसी क्षेत्र में तमंचा लहरा रहे थे और महफिल में आनंद उठा रहे थे। इसी बीच गोलीबारी भी हुई और एक सीधे-साधे इंसान की जान चली गई। यह दीगर बात है कि पुलिस कर्मियों के जांच को गलत दिशा देने के लिए शव को उठाकर यहां फेंक दिया गया था। आरंभ में पुलिस का जांच भी उसी घटनास्थल के पास रह रहे एक नर्स के आवास को केन्द्र बनाकर किया गया। वहां खून के कुछ धब्बे भी मिले। पुलिस की शंका और प्रबल हुई। पर प्रारंभिक जांच में पता चला कि वह खून उस महिला के रजोधर्म के थे। यह अलग बात है कि इसी बीच पुलिस को एक सुराग मिल गया और घटना के छह घंटे के अंदर ही सारे मामले का खुलासा हो गया।

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साक्ष्य समाप्त करने की कोशिश करनेवालों की खोज शुरू : अवधेश की मौत के तीसरे दिन भी उसके परिवार अबतक सदमे से उबर नहीं पाए हैं। उनकी पत्नी रह-रहकर दहाड़े मार रही है। उनके लगातार रुदन व क्रंदन से पूरा धर्मपुर मुसापुर गमगीन है। इस बीच पुलिस ने अब वैसे आरोपियों की भी खोज शुरू कर दी है, जिसने साक्ष्य समाप्त करने की कोशिश की थी। यानि जो पूरी महफिल में बैठा रहा। घटना हो गई, पर किसी ने पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी। इसके अलावा पुलिस उसे भी बड़ी बेताबी से ढूंढ रही है जिसने साक्ष्य को समाप्त करने की कोशिश की थी। यानि जिसने घटनास्थल से शव को उठाकर बड़े इत्मीनान से उसे दूसरी जगह पर लाकर फेंक दिया। और शव पर ऐसे बाइक को पटक दिया, मानों घटनास्थल वहीं स्थल हो।

दीपक की गिरफ्तारी भी पुलिस के लिए चुनौती : आमतौर पर खाकी की जिम्मेवारी अपराध व अपराधियों पर अंकुश की होती है। पर जब खाकी ही दागदार हो तो उसकी गिरफ्तारी पुलिस के काफी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। क्योंकि आम जनता भी पुलिस की इस कार्रवाई को बड़ी पैनी नजर से निहारती है। नगर थाना की पुलिस के लिए अवधेश की मौत के मामले में फरार चल रहा मुख्य आरोपी बिहार पुलिस का जवान दीपक कुमार उर्फ दीपू की गिरफ्तारी व उसके सर्विस रिवाल्वर की बरामदगी काफी चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि उसके रिवाल्वर से निकली गोली से अवधेश की जान गई थी।

नर्स के घर मिले खून से सने कपड़े अवधेश के नहीं : तिरहुत अकादमी के पास जहां शव लाकर फेंक दिया गया था। पुलिस ने प्रारंभिक जांच उसी स्थल से शुरू की थी। इसी क्रम में किराया के मकान में रह रहे एक नर्स के घर की भी पुलिस ने तलाशी ली थी। आरंभिक जांच के क्रम में पुलिस को वहां जो नजारा मिला उससे तो एकबारगी ऐसा लगा कि वास्तव में घटनास्थल यही है। क्योंकि कमरे के अंदर भूजा भी मिला और खून से सना एक कपड़ा भी। इस बीच जब पुलिस ने मामले की तपशीश शुरू की तो पाया कि दरअसल खून से सना कपड़ा रजोधर्म का था न कि अवधेश का।

पंचम ने स्वीकारा अपराध, दिए कई सुराग : पुलिस गिरफ्त में आए महफिल के आयोजक सह गणपति जांच केन्द्र के संचालक अमित सिंह उर्फ राही पंचम ने पुलिस के समक्ष अपना अपराध कबूल लिया है। उसने जो बयान दिया है इससे इस पूरी घटना की कलई खोल कर रख दी है। अपने स्वीकारोक्ति बयान में उसने कहा है कि हर महीने वह ऐसी महफिल अपने किराये के मकान काशीपुर वार्ड 13 में सजाता था। इसमें अधिकांश चिकित्सक के कम्पाउंडर व पुलिस वाले शामिल होते थे। इसी क्रम में मंगलवार को भी यह आयोजन किया गया था। इसमें रेणु साह के सभी कम्पाउंडर कन्हाई राय, दिलीप सिंह, सुशील कुमार, उमेश महतो, अवधेश कुमार पाल(मृतक) के अलावा निजी दोस्त परीक्षित गुप्ता, अमित राय, चिंटू उर्फ कुंज बिहारी शर्मा के अलावा पुलिस के जवान भगवान सिंह और दीपक कुमार उर्फ दीपू शामिल हुआ था।

खाने-पीने का दौर चल रहा था : करीब 12 बजे के आस-पास सिपाही दीपक कुमार ने अपने सर्विस रिवाल्वर से हवाई फायर किया था। जबकि दूसरा फायरिंग नहंी हो पाया। जब वह पिस्तौल ठीक कर रहा था। अचानक से गोली फायर हो गया। जो सीधे अवधेश के पेट में जाकर लग गई। पेट में लगने के बाद वह वहीं छटपटा रहे थे। अभी हमलोग उन्हें अस्पताल ले जाने की बात सोच ही रहे थे कि अचानक से उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद दोनों सिपाही वहां से अपनी बाइक से भाग निकले।

अवधेश की बाइक के सहारे ही शव को फेंका : अपने स्वीकारोक्ति बयान में पंचम ने यह भी कहा है कि घटना के बाद से सभी नर्वस हो गए। घटनास्थल को बदलने के लिए अवधेश की बाइक को मैंने ड्राइव किया। अवधेश को बीच में बिठाया और पीछे परीक्षित बैठा था। वहां से शव को लाकर तिरहुत एकेडमी के पास नाले में रख दिया और उपर से उनकी बाइक को भी शव के उपर फेंक दिया। यहां से लौटने के बाद मैंने पूरे घर को पानी से धोया और फिनाइल भी डाला। ताकि खून का दाग भी मिट जाए और कोई दुर्गध भी नहीं मिले। इसके बाद मेरे सभी दोस्त अपने घर चले गए और मैं भी सो गया।

सक्रिय हुई पुलिस तो दस घंटे में हुआ उद्भेदन : लगातार बढ़ रही आपराधिक घटना के बीच शहर में हत्या की इस घटना को लेकर पुलिस के तेवर काफी सख्त थे। लोगों का गुस्सा भी इस घटना के बाद सड़क पर आ गया था। इस घटना का उद्भेदन करना और आरोपियों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए काफी चुनौती भी थी। पुलिस अधीक्षक बाबूराम के निर्देश पर तत्काल एक टास्क फोर्स गठित की गई। सदर डीएसपी सह प्रशिक्षु आईपीएस आंनद कुमार के नेतृत्व में नगर थानाध्यक्ष असरार अहमद व उनकी पूरी टीम घटना की तपशीश में जुट गई। नर्स के एक घर से शुरू हुआ जांच का क्रम असली घटनास्थल पर जाकर पहुंच गया और घटना की कलई तो खुली ही आरोपी भी गिरफ्तार कर लिए गए। हालांकि अभी भी मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करना और सर्विस रिवाल्वर की बरामदगी पुलिस के लिए चुनौती ही मानी जाएगी।

एसपी कोठी से भगवान का भाग जाना भी एक 'खेल' : अवधेश की मौत के मामले में पुलिस गिरफ्त में आया पुलिस का ही एक जवान भगवान सिंह फिलहाल जेल जा चुका है। पर अवधेश की गिरफ्तारी ने एक साथ कई सवालों को जन्म दिया है। सबसे अहम यह कि कैसे भगवान अतिसंवेदनशील माने जाने वाले एसपी कोठी से फरार हो गया। जबकि बिना इजाजत के वहां कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। क्या इस 'खेल' में उस कोठी का कोई कारिंदा तो शामिल नहीं था। क्योंकि बिना इजाजत के वहां से कोई फरार तो नहीं हो सकता है। हालांकि इसे खुशकिस्मती ही कहा जाएगा कि उसे भागने के दौरान शीघ्र गिरफ्तार कर लिया गया। वरना..।

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नगर थाना क्षेत्र में गोली मारकर कम्पाउंडर की मौत का उद्भेदन महज छह घंटे में प्रशंसनीय है। पुलिस अब इस मामले के एक और आरोपी पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी व उसके पिस्टल की बरामदगी को लेकर छापेमारी तेज कर दी है।

बाबूराम

एसपी, समस्तीपुर

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