यहां हर रोज लगता है मजदूरों का मेला
जासं, समस्तीपुर : सुबह के साढ़े आठ बज रहे हैं। मैं शहर से सटे काशीपुर के सोनवर्षा चौक पर खड़ा हूं। यहां मेले जैसे नजारा है। भूईधारा की ओर से एक काले रंग की पल्सर बाइक आकर रुकती लोगों की भीड़ उन्हें घेर लेती है। इस ओर ध्यान देने पर पता चलता है कि मकान बन रहा सो कुछ मजदूर की जरूरत है। फिर बात तय होती है और मजदूरों को कहां आना है पूरा पता बता दिया जाता है। यह सिलसिला लगातार जारी रहा। इस मेले का नजारा कुछ अजीब सा है। मेले में आम तौर पर खाने-पीने की चीजें, खिलौने व रोजमर्रा की चीजें बिकती है। लेकिन यह मेला कुछ अजीब है। यह किसी खास अवसर पर नहीं लगता बल्कि प्रत्येक दिन सूरज की की लालिमा फटते ही लगने लगता है। यहां आम मेले की चीजें नहीं बिकती यहां तो मजूदर पेट के लिए खुद को बेचने पहुंचते हैं। इन मजदूरों के लिए मनरेगा या फिर सरकार की किसी अन्य योजना का कोई मतलब नहीं है। इनमें से अधिसंख्य के पास मनरेगा का जाब कार्ड भी लेकिन काम एक भी नहीं मिला। हर रोज ये मजदूर काम के लिए जहां जमघट लगाए रहते। यह जगह उनके लिए एक ब्रांड नेम जैसा हो गया है। जिसे भी मजदूर की जरूरत हुई सुबह-सुबह यहां पहुंच जाते। शहर की आसपास ही नहीं जिले के कई हिस्सों से यहां पहुंचकर मजदूर काम का इंतजार करते हैं। काम का इंतजार कर रहे मजदूरों की ओर जैसे ही मुखातिब हुआ वे अपना दर्द उड़ेल कर रख दिए। गरुआरा से आए चंद्रशेखर झा ने कहा कि महीने में कई दिन काम नहीं भी मिलता है। इंतजार के बाद निराश लौट जाते हैं। मनरेगा का उन्हें कोई फायदा नहीं मिला है। विरनामा से आए राम छविद राय ने बताया कि जॉबकार्ड तो मजदूरों को मिला लेकिन काम कभी नहीं मिला। यहां जिस दिन काम नहीं मिलता चूल्हा जलना भी मुश्किल हो जाता है। चंदौली के गौरी शंकर योगीचक के चंदेश्वर कहते हैं कई बार तो काम नहीं मिलने में कम मजदूरी पर भी काम करने को मजबूर होना पड़ता है।
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मांगने पर भी मनरेगा से नहीं मिल रहा काम
काम की गारंटी देने वाला मनरेगा जिले में अपने उद्देश्य से भटक चुका है। इन दिनों तो मनरेगा में राशि का टोटा भी फंसा हुआ है। जुलाई-अगस्त में तो फंड तक नहीं मिला है। पूर्व में काम किए बहुत से मजदूर मजदूरी के लिए भटक रहे हैं। हाल के दिनों में काम मांगने वाले मजदूर को काम भी नहीं मिल रहा है। योजनाएं भी आधी अधूरी पड़ी है। कहने को जिले के 442930 परिवार को जॉब कार्ड अबतक उपलब्ध कराया गया लेकिन वित्तीय वर्ष के पांच माह बीतने के बाद भी काम मात्र 21499 परिवार को दिया गया है। जबकि काम मांगने वाले परिवारों की संख्या 34833 है। ऐसी स्थिति में इन जॉब कार्डधारियों के लिए मनरेगा तथा इसके जॉब कार्ड का कोई खास मतलब नहीं रहा जाता है। मजदूरों को काम देने में सबसे पीछे मोरवा प्रखंड है यहां के मात्र 260 परिवारों को काम मुहैया कराया गया है जबकि यहां 888 परिवार ने काम की मांग की है। 16663 परिवार के पास जॉब कार्ड है। वहीं काम देने में कल्याणपुर प्रखंड नंबर एक पर है यहां के 37586 जॉब कार्डधारी परिवार में से 2988 ने काम की मांग की है जिनमें से 2234 को काम दिया गया है।
आंकड़ों की हकीकत
जिले में कुल जॉब कार्डधारी परिवार- 442930
काम की मांग करने वाले परिवार - 34833
काम पाने वाले परिवार - 21498
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जॉब कार्डधारी परिवारों की संख्या काम की मांग तथा काम की उपलब्धतता का प्रखंडवार विवरण
प्रखंड जॉबकार्ड मांग उपलब्ध
उजियारपुर : 26624 : 2004 : 1335
कल्याणपुर : 37586 : 2988 : 2234
खानपुर : 22126 : 1336 : 686
ताजपुर : 13951 : 1485 : 1217
दलसिंहसराय: 15220 : 1649 : 717
पटोरी: 18588 : 1977 : 1500
पूसा : 16864 : 965 : 415
मोरवा :16663 : 888 : 260
मोहनपुर: 16318 : 1027 :973
मोहिउद्दीननगर: 18687 : 1732 : 1325
रोसड़ा : 18370 : 932 : 498
वारिसनगर: 25485: 1535 : 1019
बिथान: 20232 : 2111 : 1298
विद्यापितनगर :15726 : 1285 : 923
विभूतिपुर:28951 :3228 : 1779
समस्तीपुर : 31097 : 2048 : 1182
सरायरंजन: 29050 : 1615 : 849
सिंघिया : 24490 :2328 : 925
शिवाजीनगर: 21168 : 1788 : 1285
हसनपुर :25130 :2061 : 1078
क्या है प्रावधान :
जॉब कार्डधारी परिवार के द्वारा काम मांगने के बाद उसे 15 दिनों के भीतर काम मुहैया करा देना है। मांगने के बाद जिस परिवार को 15 दिन के भीतर काम नहीं मिला उसे बेरोजगारी भत्ता देना है। लेकिन अबतक किसी भी परिवार को मनरेगा से बेरोजगारी भत्ता नहीं मिला है। दूसरी ओर हर जॉब कार्डधारी को कम से कम साल में सौ दिन काम मुहैया कराना है।