विश्व के सभी धर्मो का मूल है सनातन हिन्दू धर्म
सरायरंजन, संस : विश्व के सभी धमरें का मूल सनातन हिन्दू धर्म है। हिन्दू धर्म के उन्नत भाव का प्रभाव ही है कि आज मानव विश्व का सर्वश्रेठ प्राणी है। जबकि हिन्दू धर्म के भाव के अभाव का कुप्रभाव ही है कि आज मानवता बारूद के ढेर पर बैठी है। उक्त बातें मानव सेवा मंच, सरायरंजन एवं बोल बम सेवा समिति, कंकालीपुर के तत्वावधान में आयोजित' हिन्दू धर्म का भाव एवं प्रभाव' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्य डा. राम विलास राय ने कही। रामचरित मानस प्रचार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य सत्यनारायण मिश्र 'सत्य' ने धर्म को सत्य का आधार बताते हुए धर्म की महत्ता विषयक काव्य पाठ से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। डॉ. पीके राय ने धर्म के मूल को सत्य एवं ईश्वर बताते हुए अपने मार्मिक प्रवचन से श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। केएसआर कॉलेज सरायरंजन के प्राध्यापक प्रो. अवधेश कुमार झा ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म सभी धमरें की जननी है। वहीं हिन्दू धर्म का अर्थ है जो मानव को हीनता और न्यूनता से दूर कर इन्सान को भगवान बना दे। वहीं सनातन हिन्दू धर्म है। संगोष्ठी की शुरूआत करते हुए आचार्य अभिराम दास ने धर्म को मानव की सदाचार पद्धति एवं सनातन धर्म को वैदिक धर्म के रूप में बताया। रामकथा प्रवक्ता वीरेन्द्र कुमार ईश्वर ने धर्म को ईश्वर का प्रतिरूप एवं ईश्वर प्राप्ति का सदाचरण बताया। संगोष्ठी के आयोजक पुलिस निरीक्षक विजय कुमार झा ने धर्म के मर्म की व्याख्या करते हुए सनातन धर्म के प्रति हिन्दुओं के समर्पण के अभाव पर गहरा क्षोभ प्रकट किया। उन्होंने कहा कि बिना इसके उत्थान के मानव का उत्थान कभी नहीं हो सकता। श्री झा ने कहा कि हिन्दू धर्म के भाव से शाति आती है। संगोष्ठी का सफल संचालन सरायरंजन उच्च विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक रवीन्द्र कुमार ठाकुर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन देवकी नंदन झा ने किया। संगोष्ठी में रामलगन सिंह, डॉ. मित्र कुमार ठाकुर, डॉ. शिव कुमार झा, राम शरण दास, शशिधर झा, श्याम कुमार झा, प्रो. अशोक कुमार ठाकुर, प्रो. जगन्नाथ झा, रामदेव साह, लालबाबू साह, सुदर्शन प्रसाद साह समेत दर्जनों गणमान्य उपस्थित थे।