कोसी में अब नहीं दिखेगी छुक-छुक करती रेलगाड़ी
सहरसा। रेल इतिहास में जिस तरह कोयला पर चलनेवाली इंजन अब इतिहास बन कर रह गया है। ठीक
सहरसा। रेल इतिहास में जिस तरह कोयला पर चलनेवाली इंजन अब इतिहास बन कर रह गया है। ठीक वैसे ही अब कोसी इलाके में छोटी रेल लाईन नहीं रह जाएगी। 25 दिसंबर से सहरसा से थरबिटिया रेलखंड के बीच आमान परिवर्तन कार्य को लेकर मेगा ब्लॉक लिया जा रहा है। पूर्व मध्य रेल समस्तीपुर मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक वीरेन्द्र कुमार ने मेगा ब्लॉक की तिथि 25 दिसंबर से घोषित कर दी है। 24 दिसंबर तक ही सहरसा-थरबिटिया के बीच छोटी रेल लाइन की ट्रेनें चलेगी।
159 स्टेशनों से जुड़ा है सहरसा
सहरसा बिहार के करीब 159 स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। सहरसा के तीनों रेलखंड में फिलहाल 60 ट्रेनों की आवाजाही होती रहती है। वर्ष 1952 में सहरसा स्टेशन से ट्रेन का परिचालन प्रारंभ हुआ। कालांतर में सहरसा में छोटी रेल लाईन की ही ट्रेनें चलती थी। ज्यों ज्यों विकास की गति बढ़ती गयी रेल का विकास बढ़ता गया। सहरसा में बड़ी रेल लाइन की ट्रेन को 12 मई 2005 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने हरी झंडी दिखाकर विदा किया था। इसके बाद से ही कोसी क्षेत्र में आमान परिवर्तन कार्य की गति तेज की गयी। वर्ष 2008 में कुसहा बाढ त्रासदी के कारण रेल संपर्क छिन्न-भिन्न हो गया। इससे पहले फारबिसगंज-ललितग्राम के बीच आमान परिवर्तन कार्य को लेकर मेगा ब्लॉक लिया गया था। 2008 के बाद मेगा ब्लॅाक राघोपुर तक लिया गया। इसके बाद 2014 में थरबिटिया से सहरसा के बीच छोटी रेल लाईन क ट्रेन चलनी शुरू हो गयी। फिलवक्त छह जोड़ी ट्रेन चलायी जा रही है। सहरसा- मधेपुरा- मुरलीगंज के बीच वर्ष 2014 में ही बड़ी रेल लाईन सेवा चालू हो गयी थी। लेकिन पूर्णिया तक आमान परिवर्तन कार्य वर्ष 2016 में पूरा हुआ।
25 दिसंबर से सहरसा से
थरबिटिया रेल खंड के बीच आमान परिवर्तन कार्य को लेकर मेगा ब्लॉक लिये जाने का निर्णय लिया गया है। 31 मार्च 17 तक आमान परिवर्तन कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
-वीरेंद्र कुमार, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, पूर्व मध्य रेल, समस्तीपुर