बीत गए पांच वर्ष, नहीं हुआ भू अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण
सहरसा। बर्बाद हो रहे पुराने भू- अभिलेखों को सुरक्षित रखने और बढ़ते भू-खंडों के विवाद को ि
सहरसा। बर्बाद हो रहे पुराने भू- अभिलेखों को सुरक्षित रखने और बढ़ते भू-खंडों के विवाद को विराम देने के लिए एनएलआरएमपी योजना के तहत जिले में प्रारंभ भू- अभिलेखों के कंप्यूटीकरण का कार्य काफी मंथर गति से चल रहा है। इस योजना को हालांकि वर्ष 2012 के दिसम्बर में ही पूरा किया जाना था, परंतु अबतक पचास फीसदी से अधिक गांवों का प्रारुप प्रकाशन अधर में लटका हुआ है। जिले के 151 पंचायत के अन्तर्गत पड़नेवाले 472 राजस्व ग्रांवों में अबतक मात्र 174 के अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण किया गया। शेष अभिलेख अब भी दीमकों के हवाले हैं।
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अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण की स्थिति
प्रखंड - कुल राजस्व गांव - कम्प्यूटरीकरण पूरा होनेवाले गांव
कहरा- 47- 24
सत्तरकटैया- 38- 12
नवहट्टा- 55- 27
महिषी- 81- 39
सौरबाजार- 56- 21
पतरघट- 15- 05
सोनवर्षा- 59- 15
सिमरीबख्तियारपुर- 60- 10
सलखुआ- 43- 13
बनमा इटहरी- 18- 08
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कठिन हो रहा भू- विवादों का निष्पादन
अभिलेखों के नष्ट होने और छेड़छाड़ के कारण जिले में भूमि विवाद गहराता जा रहा है। वर्तमान समय में जिले में तकरीबन 24 हजार भूखंडों का विवाद विभिन्न न्यायालयों में चल रहा है। बीटी एक्ट की धारा 106,107, अनुमंडल न्यायालय में चल रहे धारा 144 व 188 के वादों के अलावा सिविल न्यायालयों में वादों का निष्पादन अभिलेखों के अभाव में संभव नहीं हो पा रहा है। कम्प्यूटरीकरण कार्य में देरी होने से यह समस्या और गहरा सकती है।
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अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण का कार्य बहुत हद तक हो चुका है। अधिकांश गांवों का अंतिम प्रारुप प्रकाशन किया गया है। कुछ तकनीकी कारणों से कार्य में व्यवधान आया था। उम्मीद है कि इसे शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। सुनीलदत्त झा, प्रभारी, राजस्व शाखा।