बचपन से ही संजीव में भरा था देशभक्ति का जज्बा
फोटो- 16 एसएआर-44,45,55 जासं, सहरसा: जिले के महिषी प्रखंड के तिलाठी गांव निवासी विलास याद
फोटो- 16 एसएआर-44,45,55
जासं, सहरसा: जिले के महिषी प्रखंड के तिलाठी गांव निवासी विलास यादव के बड़े पुत्र संजीव कुमार में बचपन से ही देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। ग्रामीण परिवेश में पले बढे संजीव हर हमेशा देश की सुरक्षा में लगे जवानों की ही गाथा लोगों से सुनते रहते थे। वे शुरू से ही सेना में जाने को इच्छुक थे। यही कारण रहा कि 14 अक्टूबर 2010 में ही भारतीय सेना 17 बिहार के सैनिक रूप में योगदान दिया।
लद्दाख में ढ़ाई साल की थी ड्यूटी
लद्दाख में करीब ढाई साल तक अपनी डयूटी पूरी कर जम्मू-कश्मीर के रजौरी में दुबारा पो¨स्टग हुई। शहीद संजीव के दोस्त गौतम बताते हैं कि दोनों साथ ही सेना को ज्वाइन किया। हाल ही में 13 नवंबर 16 को वह सहरसा से वापस अपनी ड्यूटी गया था। संजीव बचपन से ही हिम्मती व साहसी था। उनके अदम्य साहस व काबलियत को लेकर ही संजीव को राष्ट्रीय राइफल में योगदान करने का अवसर मिला। एक माह पहले ही उसने इसे ज्वाइन किया था। राष्ट्रीय राइफल में होना अपने आप में एक बड़ी बात होती है। यह सबों के लिए मुमकिन नहीं होता है। भारतीय सेना के नायब सूबेदार एके चौधरी ने बताया कि संजीव की शहादत से लोगों को प्रेरणा मिलेगी।