शहादत की कड़ी में जुड़ा एक और नाम
सहरसा। स्वाधीनता आंदोलन में महती भूमिका अदा करनेवाले कोसी क्षेत्र के जवान देश की सीमा पर प
सहरसा। स्वाधीनता आंदोलन में महती भूमिका अदा करनेवाले कोसी क्षेत्र के जवान देश की सीमा पर प्राण न्योछावर करने में पीछे नहीं हैं। जिले के महिषी प्रखंड अन्तर्गत घोघसम पंचायत के तिलाठी गांव निवासी संजीव ने कर्तव्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहूति देकर शहादत की इस कड़ी को आगे बढ़ाया है। संजीव की शहादत से इस इलाके में एकबार फिर साबित कर दिया कि हम किसी से कम नहीं।
आठ घुसैपठियों को मारकर कारगिल में शहीद हुए थे रमण
जिले के बनगांव निवासी फूल झा के छोटे पुत्र रमण झा ने कारगिल युद्ध में अदम्भ साहस का परिचय दिया था। 14 सिख रेजिमेंट के जवान रमण कारगिल के बटालिक सेक्टर में आठ घुसपैठिए को मारने के बाद एक जुलाई 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठियों के हथगोले का शिकार होकर शहीद हो गया। सेना में भर्ती होने के बाद उन्होंने अपने पिता को पत्र लिखकर यह वादा किया था कि वह ऐसा काम करना चाहते हैं जिससे उनका परिवार और समाज गौरवान्वित होगा। रमण ने अपने इस वायदे को पूरा किया। देश रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
2004 में शहीद हुए थे कृष्ण कुमार
गंगजला निवासी जीवकांत झा के पुत्र कृष्ण कुमार झा जम्मू में बीएसएफ इंस्पेक्टर थे। घुसपैठिए उनके नाम से खौफ खाते थे। कई पाकिस्तानी घुसपैठिया उनके निशाने पर चढ़ चुका था। उनपर खतरा मंडरा रहा था। बावजूद वे निर्भीक होकर अपना कर्तव्य निभाते रहे। आतंकवादी उनके पीेछे पड़े हुए थे। वे जब 23 मई 2004 को पूरे परिवार बारुदी सुरंग से उड़ा दिया गया। इस घटना में उनकी पत्नी बबीता झा, पांच वर्षीय पुत्र शिवम और तीन वर्ष की पुत्री पूजा भी आतंकियों की भेंट चढ़े थे।
पेट्रो¨लग के दौरान आसाम में शहीद हुए देवेन्द्र
भरौली धकजरी निवासी बालेश्वर साह के पुत्र देवेन्द्र कुमार साह 26 रेजिमेंट के जवान थे। वे आसाम में कार्यरत थे। वहां उन्होंने कई उग्रवादियों को मार गिराया था। जिसके कारण वे इन तत्वों की आंख की किरकिरी बन गए थे। दो अप्रैल को जब में कहीं उग्रवादी के छिपे रहने की सूचना पाकर गश्त पर निकले तो गश्ती दल पर कहीं ऊंचाई से हथगोला फेंक दिया गया। फलस्वरूप वे अन्य जवानों के साथ वहीं वीरगति को प्राप्तकर गए। इन सभी शहीद जवानों को शत- शत नमन। वहीं पंचगछिया निवासी रिटायर्ड सैनिक व सैप जवान मधुकांत झा भी पिछले दिनों शहीद हुए थे। जबकि बनमा ईटहरी प्रखंड के एक जवान भी कुछ माह पहले शहीद हुए थे।