संस्कृति कर्मियों पर हमला देश के लिए खतरनाक
सहरसा। इप्टा के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन इंदौर में हुए फासिस्ट हमले के खिलाफ सहरसा इप्टा ने बुधवार को
सहरसा। इप्टा के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन इंदौर में हुए फासिस्ट हमले के खिलाफ सहरसा इप्टा ने बुधवार को सांस्कृतिक प्रतिरोध दिवस मनाया। शहर के सुपर बाजार स्थित कला भवन परिसर में धरना देते हुए रंग कर्मियों-संस्कृति कर्मियों ने एक स्वर से संस्कृति कर्मियों पर हो रहे हमले को देश के लिए घातक बताया। इंदौर इप्टा राष्ट्रीय सम्मेलन में फासिस्टों ने कार्यक्रम में बाधा पहुंचाकर देश की एकता व अखंडता को तोड़ने की कोशिश की। सांस्कृतिक प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि इप्टा एक जन आंदोलन है। देश की आजादी में इप्टा के योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता है। आम आवाम के हक व हकूक की लड़ाई इप्टा गीत संगीत के माध्यम से लड़ती आ रही है। संस्कृति को खत्म करने की साजिश करनेवाले देश भक्त नहीं देशद्रोही कहलाते हैं। इसीलिए इन तत्वों को रोकने की जरूरत है। आयोजित सांस्कृतिक प्रतिरोध सभा का संचालन करते हुए अध्यक्ष विनय कसौधन ने सबों से फासिस्ट ताकतों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। राज्य कार्यकारिणी सदस्य एस एस हिमांशु ने कहा कि इप्टा के कलाकारों, फिल्मकारों, चित्रकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों ने खून पसीना एक कर दुनिया की मानवतावादी और प्रगतिशील संस्कृति को आगे बढ़ाया है। इप्टा का संकल्प सबके लिए एक सुन्दर दुनिया है। सांस्कृतिक प्रतिरोध दिवस के दौरान रंग
कर्मियों-संस्कृति
कर्मियों ने ढोलक, नाल, हारमोनियम के साथ कई जनवादी गीतों की प्रस्तुति दी। हिमांशु एवं विनय कसौधन ने कई जनगीत व कविता को सुनाया। कार्यक्रम में सचिव रमेश पासवान, संयुक्त सचिव रोहिणी ¨सह, उपाध्यक्ष अजहर खान, गंगा राय, ¨प्रस आनंद, मो जमशेद, आशीष कुमार, राहुल कुमार, विकास भारती, मुकेश मुन्ना, मिथुन राजा, गौरीशंकर कसौधन, पवन कुमार, सुशील गुप्ता, विष्णु कुमार साह, दीपक, अनिल सहित पंचकोसी के सचिव अभय कुमार मनोज, अमित ¨सह जयजय आदि ने भाग लिया।