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विकास नहीं 'बंदर' बन सकता है मुद्दा

सहरसा[अमरेन्द्र कान्त]। बात लगभग चार साल पुरानी है। अखबार के दफ्तर में सूचना दी गई कि चैनपुर गांव मे

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 02:06 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 02:06 AM (IST)
विकास नहीं 'बंदर' बन सकता है मुद्दा

सहरसा[अमरेन्द्र कान्त]। बात लगभग चार साल पुरानी है। अखबार के दफ्तर में सूचना दी गई कि चैनपुर गांव में बंदर भगाने के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया है। उत्सुकतावश यज्ञ स्थल पर पत्रकार भी पहुंच गए। बजरंगबली मंदिर के समीप सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ होने के बाद लोगों को लगा कि बंदर से इस इलाके को निजात मिल जाएगा। परंतु ऐसा नहीं हुआ। बात बीते विधानसभा चुनाव की करे तो इस इलाके के लोग विकास से पहले बंदर को भगाने की मांग नेताओं से की थी। नेताजी ने इस दिशा में ठोस पहल का भरोसा भी दिया था। लेकिन बंदर ने इस इलाके को नहीं छोड़ा। अब फिर चुनाव आने वाला है इसलिए यह मुद्दा लोगों के जेहन में एकबार फिर आने लगा है। सहरसा विधानसभा क्षेत्र की लगभग 50 हजार की आबादी इलाके के लोग फिर से 'बंदर' को अपना मुद्दा बना सकते हैं। वैसे, यह मामला जब पूर्व विधायक संजीव कुमार झा ने विधानसभा में जब उठाया था तो थोड़ी पहल भी हुई थी। परंतु कुछ दिनों बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बंदर से त्रस्त इस इलाके के लोग इस बार नेताजी से यह सवाल कर सकते हैं।

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वैसे अबतक चुनाव में विकास, सड़क निर्माण, सिंचाई सुविधा, बिजली की समस्या मुद्दे बनते हैं लेकिन सहरसा विधानसभा क्षेत्र ऐसा है जहां पिछले कई चुनावों में बंदर ही चुनावी मुद्दा बनता रहा है। सहरसा विधानसभा क्षेत्र के करीब 15 से 20 गाव के लोग बंदरों के आतंक से त्रस्त हैं। सिर्फ खेत-खलिहान ही नहीं बल्कि घर के अंदर-बाहर भी बंदरों का उत्पात है। ग्रामीण सोहन झा कहते हैं कि चुनाव में नेताजी बंदर की समस्या से निजात का भरोसा तो देते हैं। लेकिन चुनाव बाद मामला दब जाता है। स्थिति यह है कि खेत-खलिहान से लेकर अब तो घर के रसोई तक बंदर पहुंच जाते हैं। बंदर ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। फसलों को बंदर तबाह कर देता है। वन्य जीव एक्ट के कारण लोग बंदरों को नहीं मारते हैं। ग्रामीण देबू ठाकुर, मुकेश कुमार ने कहा कि एकबार बंदर को कुछ लोगों ने खदेड़ दिया था। फिर क्या था बंदरों का झुंड सड़क पर आ गया। घंटो आवागमन बाधित रहा था। लोग लाठी-डंडा लेकर खेतों की रखवाली करते हैं। बच्चों को भी अकेले छोड़ने पर चिंता बनी रहती है। इस क्षेत्र से जिप का चुनाव लड़ चुकी भारती झा कहती है कि यह मुद्दा काफी दिनों से है। परंतु इसपर किसी स्तर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण ग्रामीण काफी परेशान रहते हैं।

इस विधानसभा क्षेत्र के चैनपुर, पररी, बरियाही, बनगाव, देवना गोपाल, बलहा आदि गाव इन बंदरों के उत्पात से त्रस्त है। पूर्व विधायक ने इस इलाके के बंदरों के अभयारण्य हेतु विस में मामला उठाया था। पहल भी की गयी थी। परंतु अबतक कोई सफलता नहीं मिली। आज भी इन बंदरों का उत्पात जारी है।

'मेरे द्वारा विधानसभा में मामला उठाए जाने के बाद उस समय के मंत्री रामचंद्र सहनी व प्रधान सचिव के साथ बैठक भी हुई थी। लेकिन उसके बाद क्या हुआ मेरी जानकारी में नहीं है।'

संजीव कुमार झा

पूर्व विधायक, सहरसा

'इस मामले को लेकर मेरे स्तर से कई बार मामला उठाया गया है। पहल भी की गई। परंतु इस सरकार में ध्यान नहीं दिया जा रहा है।'

डा. आलोक रंजन

विधायक, सहरसा


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