डीएम अंकल, क्यों छीन रहे हमारे खेलने का मैदान!
सहरसा : शहर के अस्पताल कालोनी के बगल में सरकारी क्र्वाटरों के बीच में अवस्थित बच्चों के खेलने का मह
सहरसा : शहर के अस्पताल कालोनी के बगल में सरकारी क्र्वाटरों के बीच में अवस्थित बच्चों के खेलने का महत्वपूर्ण स्थल चिल्ड्रेन पार्क में जलमीनार बनाये जाने की तैयारी से अगल-बगल के मोहल्ले के बच्चे काफी मर्माहत है। लगभग साढ़े तीन दशक पूर्व स्थापित इस पार्क में प्रैक्टिस कर कई बच्चों ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उस धरोहर को छीने जाने से दुखी युवकों ने जिलाधिकारी से तत्काल हस्तक्षेप करने और चिल्ड्रेन पार्क को बचाने की गुहार लगायी है।
इस पार्क से हजारों युवकों की यादें जुड़ी हुई है, जिन्होंने बचपन में यहां खेला था। हर शाम बच्चों की भीड़ को देखकर 1978 में तत्कालीन आयुक्त सीआर वेकटरमण द्वारा उद्घाटित इस पार्क में बाद में जिलाधिकारी मदन मोहन झा, टीएन लाल दास, आरएल चौग्थू, सदर एसडीओ एके मिश्रा, पंकज दीक्षित आदि ने भी समय- समय पर इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता जताते हुए इसके लिए युवाओं को आश्वासन दिया। दुर्भाग्यवश प्रशासन इसे बेहतर बनाने में अबतक सफल नहीं हुआ, इसी बीच पार्क की जमीन को बिहार राज्य जल पर्षद को जलमीनार बनाने के लिए आवंटित कर दी गई, जिससे युवावर्ग बेहद ही दुखी है।
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न्यू कॉलनी के निवासी शंकर कुमार कहते हैं कि वे जब कान्वेंट में पढ़ते थे, तब से इस मैदान में अबतक खेल रहे हैं। इस मैदान में जलमीनार बनने के बाद हमलोगों के खेलने की कोई जगह ही नहीं बचेगी।
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अंकुर आनंद का कहना है कि अधिकांश निजी स्कूलों द्वारा खेल प्रतियोगिता का आयोजन इसी पार्क में किया जाता है। इस पार्क के अतिक्रमण किये जाने से लोगों की निराशा काफी बढ़ेगी।
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टिंकू कुमार का कहना है कि सरकार के पास पानी टंकी बनाने के लिए जमीन की कोई कमी नहीं है। फिर भी पता नहीं किस साजिश के तहत इस चिल्ड्रेन पार्क को ही निशाना बनाया गया।
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अभिषेक कुमार कहते हैं बड़े-बड़े शहरों में जीर्ण-शीर्ण पार्क का जीर्णोद्धार कर बच्चों के खेलने लायक बनाया जा रहा है। नये- नये पार्क बन रहे हैं। परंतु पता नहीं क्यों इसपर सरकार व प्रशासन की कुदृष्टि क्यों पड़ गई है।
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अरविन्द कुमार का कहना है कि इस पार्क में हमलोगों ने अपनी उपरी पीढ़ी को खेलते देखा, हमलोग खेले और आज हमसे छोटे युवक खेलकूद रहे हैं। प्रशासन आखिर उसकी खुशी छीनना क्यों चाहता है।
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रंजन सिंह का कहना है कि अगर यह पार्क नहीं रहेगा, तो नया बाजार, न्यू कालोनी, अस्पताल कालोनी, पीएचईडी कालोनी आदि के बच्चों को खेलने के लिए कोई जगह ही नहीं बचेगा। इससे युवा का विकास रुक जाएगा। इसलिए प्रशासन को इसपर विचार करना चाहिए।