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कोसी की राजनीति में आया नया मोड़

- जदयू के बागी विधायक नीरज कुमार बबलू की अगुवाई में नई गोलबंदी - सांसद पप्पू यादव भी करते रहे हैं

By Edited By: Published: Wed, 25 Mar 2015 05:46 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2015 05:46 PM (IST)
कोसी की राजनीति में आया नया मोड़

- जदयू के बागी विधायक नीरज कुमार बबलू की अगुवाई में नई गोलबंदी

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- सांसद पप्पू यादव भी करते रहे हैं मांझी का समर्थन

- बदल सकती है कोसी की राजनीति

सहरसा, जागरण संवाददाता : कोसी की तरह यहां की राजनीति भी बलखा रही है। कोसी की बलुआई जमीन पर अब 'हम' की राजनीतिक फसल लहलहाने की तैयारी दिख रही है। जदयू के बागी विधायक नीरज कुमार बबलू की अगुवाई में राजनीति की नई पौध 'हम' को खाद-पानी देने को तैयार है। खास बात यह कि राजद के सांसद पप्पू यादव भी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थन में उतरते रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में कोसी की राजनीति नई करवट लेती दिख रही है। वैसे यह कितनी बदलेगी समय के गर्भ में है।

कोसी की राजनीति में जीतन राम मांझी बहुत खास नहीं रहे हैं। सहरसा के प्रभारी मंत्री रहते हुए भी कोसी की राजनीति से दूर ही रहे। कभी यहां की राजनीति में कोई दखल देने के बजाय वो कुछ खास लोगों के बीच ही सिमटे रहे। हालांकि कुछ खास लोगों से घिरे रहे तत्कालीन प्रभारी मंत्री को नीतीश कुमार के साथ चले सत्ता संघर्ष के दौरान इसका एहसास भी शायद हुआ। खैर नीतीश कुमार से सत्ता संघर्ष में हारे जीतन राम मांझी और उनके साथ रहे मंत्री ने 'हम' बनाकर नयी राजनीति की शुरूआत की। लेकिन कोसी में राजनीति में इसका बहुत असर नहीं दिख रहा था। कुछ स्थानों पर मुख्यमंत्री के समर्थन में नीतीश कुमार व शरद यादव का पुतला भी फूंका गया था। इससे पहले पार्टी से निष्कासन पर विधायक नीरज कुमार बबलू के समर्थकों ने भी नीतीश कुमार का पुतला फूंका था। मंगलवार को जदयू से निष्कासित विधायक नीरज कुमार बबलू की अगुवाई में यूथ फोरम के समर्थन की घोषणा कर 'हम' को नई जमीन जरूर दे दी है। जदयू के बागी विधायक के साथ जिला परिषद उपाध्यक्ष रीतेश रंजन भी सुर में सुर मिलाते दिखे। यहां बता दें कि जिप उपाध्यक्ष कभी सांसद पप्पू यादव के करीबी माने जाते थे। जबकि विधायक नीरज कुमार बबलू और सांसद पप्पू यादव एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रहे हैं।

जिस वक्त जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री हुआ करते थे उस वक्त सांसद पप्पू यादव भी मांझी के समर्थन में खुलकर सामने आए थे।

ऐसे में पांच अप्रैल को सहरसा पहुंच रहे जीतन राम मांझी के बहाने कोसी में नई राजनीति की शुरूआत देखने को मिल सकती है।


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