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टूटे सपनों के बीच एक खामोश चीख

अमरेन्द्र कांत, सहरसा : सौरबाजार की चंदन कुमारी मैट्रिक की परीक्षार्थी है। इनकी शादी लगभग डेढ़ वर्ष

By Edited By: Published: Wed, 25 Mar 2015 01:58 AM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2015 01:58 AM (IST)
टूटे सपनों के बीच एक खामोश चीख

अमरेन्द्र कांत, सहरसा : सौरबाजार की चंदन कुमारी मैट्रिक की परीक्षार्थी है। इनकी शादी लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व हो गयी। परीक्षा के दौरान ही प्रसव पीड़ा हुई और उसने एक बच्चे को भी जन्म दिया। चंदन प्रसव के तत्काल बाद परीक्षा में शामिल हुई। लेकिन चंदन जैसी कई ऐसी लड़कियां है जिनकी कम उम्र में शादी से सपने टूट जाते हैं। वह पढ़ने की उम्र में मां तक बन जाती है। लेकिन उनकी वेदना अनसूनी रह जाती है।

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बालिका विद्यालय में अध्ययनरत श्वेता, रजनी, खुशबू, प्रीति वैसे तो वर्ग नौ व दस में पढ़ती है परंतु उसकी शादी हो चुकी है। वो कहती है कि मां-पिता की की इच्छा हुई तो शादी करनी पड़ी। लड़कियों ने कहा कि कम उम्र में शादी होने से पढ़ाई में नुकसान होता है। लेकिन क्या करें मां-पिता की मजबूरी को भी देखना पड़ता है। वहीं लड़की के पिता सुरेन्द्र प्रसाद ने बताया कि अच्छा वर व घर अगर समय पर मिल जाता है तो शादी करने में हर्ज क्या है। वैसे वर्तमान समय में लड़कियों की जितनी जल्द शादी हो जाय वह अच्छा है। वहीं शादी की डोर में बंधने वाली स्मिता कुमारी ने बताया कि उसे उच्च शिक्षा हासिल करने की तमन्ना थी। ताकि अच्छी नौकरी कर अपने भविष्य को संवार सकूं। दसवीं कक्षा में थी तो शादी करा दी गयी। अब दो बच्चे भी हैं। जिस कारण शारीरिक रूप से भी अस्वस्थ हो गयी हूं। डॉक्टरों का चक्कर लगा रहता है।

आंकड़े बताते हैं कि जिले में एक हजार पुरुष के मुकाबले महज 914 लड़कियां हैं। बावजूद लोग लड़कियों को स्वर्ग की सीढ़ी नहीं मानते हैं। लड़कियों को बोझ माना जाता है। जिस कारण कम उम्र में शादी करा दी जाती है। जिले में 18 से कम उम्र की 47.9 फीसद लड़कियों की शादी हो रही है।

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बाहर से भी आते हैं दूल्हे

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पिछले दिनों सोनवर्षा थाना क्षेत्र में यूपी के एक दूल्हा को शादी करने से ग्रामीणों ने रोक दिया और उसे पुलिस के हवाले कर दिया। ग्रामीणों की मानें तो लड़की की उम्र महज 15 वर्ष थी जबकि दूल्हे की उम्र 40 वर्ष से अधिक थी। हालांकि पुलिस ऐसे मामले में भादवि की धारा 370 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई करती है।

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'कम उम्र में शादी व बच्चे होने से लड़कियों पर मानसिक, शारीरिक असर पड़ता है। इसके साथ ही शारीरिक परेशानी भी होती है। परिपक्व नहीं रहने व बच्चे हो जाने से कई तरह की बीमारियों से ग्रसित भी हो जाती है। कमजोरी, खून की कमी, कैल्शियम की कमी, अंदरुनी बीमारियां हो जाती है। '

डा. भारती झा

चिकित्सक, सहरसा

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18 वर्ष से कम उम्र में लड़कियों की शादी कराना कानूनन अपराध है। ऐसे मामले में अगर शिकायत मिलेगा तो पुलिस व इस क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

केएम मिश्र

अधिवक्ता, सहरसा

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समाज में अब भी लड़की को पूर्ण अधिकार नहीं मिला है। लड़की पैदा होने पर अब भी अधिकांश लोग खुशियां नहीं मनाते हैं। और जन्म के समय से ही शादी के बारे में सोचने लगते हैं। यही कारण है कि कम उम्र में शादी करा दी जाती है। जिससे लड़की के सपने टूट जाते हैं और बीमारी के कारण उनकी चीख को कोई सुन भी नहीं पाता है। ऐसे मामले में समाज को जागरूक होने की जरूरत है।

डा. विनय कुमार चौधरी

समाजशास्त्री, सहरसा


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